Hindi Summary of Robert Toru Kiyosaki’s Book रिच डैड पुअर डैड Part -2

खुद से झूट नहीं बोला जा सकता

ज़िंदगी मैं सिर्फ पैसे कमाकर या पैसे बचाकर आप अमीर नहीं बन सकते। अमीर बनने के लिए आपको अपने अंदर बहुत कुछ बदलना पड़ेगा अगर कोई लॉटरी में पैसे जीत जाए और उसे वो अपने साथ रख लें, बचा ले तो क्या वो  आपकी निगाह में अमीर हैं नहीं क्योंकि वो पैसा आज नहीं तो कल उसके साथ नहीं रहेगा। अमीरी एक सोच है, एक जीवन शैली है, एक नजरिया है और आपको हमेशा अमीर बने रहने के लिए अमीरों की तरह ही सोचना पड़ेगा। खुद को इम्प्रूव करना पड़ेगा। और इसी बात को Robert Toru Kiyosaki के रिच डैड एक कहानी के माध्यम से उन्हें समझाते हैं।

वो कहते है की जापानी लोग? तीन ताकतों को मानते थे।

  • 1 तलवार की ताकत,
  • 2 रत्नों की ताकत
  • 3 दर्पण की ताकत

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Hindi Summary of Rich Dad Poor Dad Part-1

तलवार हथियारों की ताकत का प्रतीक थी। अमेरिका ने हथियारों पर खरबों डॉलर खर्च कर दिए और इसी कारण वो आज विश्व में सबसे ताकतवर देश है। दूसरी ताकत रत्न यानि के पैसे की  ताकत का प्रतीक इस कहावत में कुछ तो सच्चाई होगी। ये स्वर्णिम नियम याद रखो जिसके पास स्वर्ण है, वहीं नियम बनाता है। तीसरा दर्पण शीशा आत्म ज्ञान का प्रतीक है। जापानी कहानियों के अनुसार ये आत्मज्ञान बाकी दोनों ताकतों से ऊपर है गरीब और मध्यमवर्गीय लोग अक्सर ये धन की ताकत से नियंत्रित होते है। वो सुबह सुबह उठते हैं और नौकरी करने के लिए भागम भाग मचा देते हैं। बिना खुद से यह पूछें कि क्या ऐसा करना समझदारी है? पैसे की समझ न होने के कारण ज़्यादातर लोग पैसे की डरावनी ताकत को यह इजाजत दे देते हैं कि वो उन्हें काबू में कर ले। पैसा उन्हें कंट्रोल करने लगता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए अगर वो दर्पण की ताकत का इस्तेमाल करते तो वो खुद से ये सवाल जरूर पूछते कि क्या ऐसा करना समझदारी है?  बहुत बार हम अपनी अंदरूनी समझदारी पर भरोसा करने के बजाय भीड़ के साथ साथ चलने लगते हैं। कोई काम इसलिए करते हैं क्योंकि बाकी सब भी ऐसा कर रहे हैं। सवाल पूछने के बजाय हम नकल करने लगते हैं। अक्सर नासमझी के कारण वही दोहराने लगते हैं जो हमें सिखाया गया है और इस तरह के विचार की आपका घर आपका सबसे बड़ा ऐसेट है। आपका घर आपका सबसे बड़ा निवेश है। अगर आप ज्यादा कर्ज लेते हैं तो आपको टैक्स में ज्यादा छूट, मिलेगी अच्छी नौकरी, सुरक्षित नौकरी खोजो गलतियाँ मत करो, वगैरह वगैरह। तो ऐसी चीजें हम भीड़ की बात सुनकर करने लग जाते हैं, खतरे नहीं उठाते।

दूसरी जरूरी बात। ये कहा जाता है कि ज्यादातर लोगों के लिए मौत से भी डरावनी चीज़ होती है। भीड़ के सामने बोलना, उन्हें एड्रेस करना। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बहुत सारे लोग। कॉमन स्टेज पर बोलने से इसलिए डरते हैं क्योंकि उन्हे ये डर होता है कि कहीं उनकी बुराइ होगी, लोग उनके ऊपर हसेंगे वो अकेले रह जाएंगे, लोग उनसे दूर हो जाएंगे। सब से अलग होने का डर या अकेले रह जाने का डर ही वो सबसे बड़ा कारण है। जीस वजह से बहुत सारे लोग अपनी समस्या अपनी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के नए नए तरीके नहीं ढूंढ़ते, बस भीड़ के साथ चलते चले जाते हैं। इसिलिए  Robert Toru Kiyosaki कहते है की उनके रिच डैड की तरह ही उनके पुअर डैड ने भी उन्हें बहुत कुछ सिखाया है। और उनमें से एक जरूरी बात ये थी कि क्यों और किस तरह से जापानी लोग दर्पण की ताकत को आईने की ताकत को सबसे ज्यादा इम्पोर्टेंस देते थे, क्योंकि जब इंसान। आईने में खुद को देखता है तभी उसे सच्चाई का पता चलता है और ज्यादातर लोग खतरा मत उठाओ इसलिए कहते हैं क्योंकि वो खुद से डरे हुए होते हैं। ये किसी भी चीज़ के बारे में कहा जा सकता है, जैसे खेल में, रिलेशनशिप्स में, करियर में, पैसों में वगैरह वगैरह।

और सबसे इम्पोर्टेन्ट बात ये है की आईने में देखकर आप खुद से झूठ बोल सकते है क्या? Robert Toru Kiyosaki  इस बात का जिक्र है, इसलिए करते हैं क्यूंकी भीड़ के साथ चलने में और पड़ोसियों की नकल करने में उनके ऐशो आराम की नकल करने में बहुत सारी दिक्कते आती। पैसों की समस्या पैदा हो जाती है। वो उनका तरीका है वो उसे अफोर्ड कर सकते हैं और जब हम देखादेखी बिना सोचे समझे नकल करना शुरू कर देते तो हम समस्याओ से घिर जाते हैं। और तब हमें जरूरत होती है। आईने की जो हमें ये बताए हमें क्या करना चाहिए? क्योंकि बेसिक रूल तो वही है। आप पैसे के गुलाम नहीं है। ऐसे काम करिये ऐसे सोचिए, ऐसे बनिये की पैसा आपका गुलाम हो वो आपके लिए काम करें।

आमदनी अठन्नी खर्च रुपैया

जब भी बाजी लगाईये दिल और दिमाग की ये जरूर सोचिये के बात पैसों की है या फिर रिश्तों की। अमीर बनने का मतलब ये नहीं होता कि आप इमोशनलेस हो जाए। अमीर बनने का यह मतलब नहीं होता कि आप अपने रिश्तों को छोड़ दें। अमीर बनने का ये मतलब नहीं होता की 24 घंटे आप सिर्फ फायदा उठाने की बात सोचें, अमीरी तो एक सोच है।Robert Toru Kiyosaki बहुत ही खूबसूरत एक अपना वाकया शेयर करते हैं कि उनके जो पुअर  डैड थे जो कि एक स्कूल में पढ़ाते थे, उन्होंने बहुत मेहनत कर के पाई पाई जोड़कर एक घर बनाया था। जिसे वो हमेशा कहते थे की ये मेरी संपत्ति है । Robert Toru Kiyosaki जब अपने रिच डैड की संगत में आये तब उन्होंने जाना कि संपत्ति और दायित्व में अंतर क्या है? ऐसेट और लाइबिलिटी में अंतर क्या है? और तब वह हमेशा अपने डैड को बोलते डैड ये जो आपने लिया है, ये आपका ऐसेट नहीं है, ये आपकी लाइबिलिटी है और इस बात पे वो दोनों घंटों बहस किया करते थे। और लाइबिलिटी और ऐसेट के कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए वो उन्हें वही सारी बातें एक्सप्लेन करते हैं, जैसे की ऐसेट वो होता है जो आपको कमा के देता है, जिसपे आपको और खर्च नहीं करना होता और लाइबिलिटी वो है जिसमें 75 तरह के खर्च होते हैं। हर महीने, हर हफ्ते हर दिन कुछ ना कुछ आपकी जेब से जा ही रहा होता है। आगे  Robert Toru Kiyosaki कहते है की जब भी लोग उनसे बात बात पर बहस करते हैं कि उनका घर संपत्ति क्यों नहीं है तो वो जानते हैं कि बहुत से लोग ये बात अपने दिमाग से नहीं अपने दिल से कह रहे हैं क्योंकि किसी के लिए भी अपना घर बनाना सबसे बड़ा सपना होता है और इसिलिए वो उसमे अपने पैसे लगाते हैं। अपने घर का मालिक होने से ज्यादा अच्छा कुछ भी महसूस नहीं होता है, पर दिल और दिमाग के बीच लाइबिलिटी और ऐसेटस के कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए Robert Toru Kiyosaki एक और बात कहते हैं, वो इस तरह समझाते हैं की मान लीजिए वो और उनकी पत्नी एक बड़ा सा घर खरीदते हैं तो होगा क्या की उसमें उनके बहुत सारे पैसे? खर्च हो जाएंगे जो कि शायद फ़िज़ूल ही हो। हालांकि बहुत सारे लोग इस बात से एग्री नहीं करेंगे, सहमत नहीं होंगी क्योंकि। घर एक भावनात्मक चीज़ है, इमोशन है और इमोशन हमेशा दिमाग पर भारी पड़ता है। जब भी लोग दिल से सोचते हैं तो दिमाग की बातें उन्हें गलत लगती है, पर फिर Robert Toru Kiyosaki आगे एक्सप्लेन करते है की वो सही कैसे हैं और एक घर ऐसेट क्यों नहीं है? वो कहते हैं कि जब घर की बात आती है तो मैं ये बताना चाहता हूँ कि ज्यादातर लोग उस घर की कीमत चुकाने के लिए जिंदगी भर काम करते हैं।

ज्यादातर लोग एक घर खरीदने के कुछ सालों बाद दूसरा घर खरीदते हैं और हर बार पहले मकान के लिए जो कर्ज वो लेते हैं, उस पर उनके पास हर बार फिर से 30 साल का नया कर्ज आ जाता है। हालांकि लोगों को मॉडगेज  पेमेंट पर ब्याज के लिए टैक्स में छूट मिलती है पर वो अपने खर्चों के लिए। टैक्स के बाद वाले रुपयों का उपयोग करते हैं अपनी मॉडगेज पूरी तरह से चुकाने के बाद भी। प्रॉपर्टी टैक्स उनकी पत्नी के मम्मी डैडी को ये बात सुनकर बहुत धक्का लगा जब उनके घर का प्रॉपर्टी टैक्स $1000 प्रतिमाह तक पहुँच गया था। और ये तब हुआ था जब वो रिटायर हो चूके थे। $1000 बहुत बड़ी रकम होती है। अगर हम उसको इंडियन करेन्सी में चेक करे तो शायद ₹80,000 या शायद उससे भी ज्यादा हुआ है और यह तब हुआ था जब वो रिटायर हो चूके थे। इस बढ़ोतरी से उनका रिटायरमेंट के बाद का बजट जो है वो बिगड़ गया था और उन्हें अपना वो मकान छोड़ना पड़ा।

अच्छा एक और मिथ है की घर की कीमत जो है हमेशा बढ़ती रहती है। ऐसा नहीं है कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने कर्ज लेकर घर खरीदा और वो घर उन्होंने जीतने में खरीदा। आज उसकी कीमत आधे से भी कम है। इन सब नुकसानों से ऊपर सबसे बड़ा नुकसान क्या है? पता है आपका लिक्विड कैश वो लिक्विड कैश जो कि किसी सही जगह पर लग सकता था वो घर में फंस गया। अगर आपका सारा पैसा मकान में फंसा रहता है तो आपको ज्यादा कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ताकि आपका खर्चा चलता रहे। इस दौरान आपकी संपत्ति वाले कॉलम में कोई बढ़ोतरी नहीं होती। मतलब आप और कोई ऐसेट  नहीं बना पाते। अगर एक यंग पति पत्नी यंग कपल शुरुआत में ही अपना पैसा अपने ऐसेट  वाले कॉलम में लगाए तो उनके आगे के साल बहुत ही आराम से गुजरेंगे। खासकर उस समय जब वो अपने बच्चों को कॉलेज में भेजेंगे। इस दौरान उनकी संपत्ति भी बढ़ जाएगी और उनके खर्चे भी आराम से चलते रहेंगे। तो अगर कम शब्दों में समझें तो ये है की घर खरीदने का फैसला जो है ना वो बहुत ही खर्चीला होता है। इसके बजाय बेहतर यह होगा कि जल्दी ही इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियों बना लिया जाए। देखिये घर खरीदने का असर किसी भी आदमी पर तीन तरह से पड़ता है पहला समय की बर्बादी, क्योंकि इस पूरे दौरान दूसरी संपत्तियों का मूल्य बढ़ चुका होता है। एक्स्ट्रा पूंजी की बर्बादी एक्स्ट्रा पैसे की बर्बादी जिसे दुबारा निवेश किया जा सकता था। जबकि घर खरीदने के बाद आपको घर से सीधे जुड़े हुए बहुत से खर्च उठाने पड़ते हैं। तीसरा। शिक्षा की बर्बादी अक्सर ऐसा होता है कि लोग ये मानते हैं की उनके जो ऐसेटस  वाले कॉलम में संपत्ति वाले कॉलम में उनका घर बचत और रिटायरमेंट प्लान आते हैं, अब क्योंकि उनके पास इन्वेस्ट करने के लिए पैसा नहीं है इसलिए वो बिल्कुल भी इन्वेस्ट नहीं कर पाते हैं। इस कारण उन्हें इन्वेस्टमेंट का अनुभव कभी मिल ही नहीं पाता। ज्यादातर लोग कभी एक समझदार इन्वेस्टर नहीं बन पाते और सबसे बढ़िया इन्वेस्टमेंट अक्सर सबसे पहले समझदार इन्वेस्टर्स को बेचे जाते हैं, जो बाद में उन्हें ज्यादा दामों पर सुरक्षित रहने वाले लोगों को बेचते हैं, उन लोगों को बेचते हैं जो रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं। तो  Robert Toru Kiyosaki के जो पुअर डैड थे, जो कि बहुत ही पढ़े लिखे थे, उनका फाइनैंशल स्टेटमेंट चूहा दौड़ में फंसे व्यक्ति का सबसे अच्छा उदाहरण हैं नौकरी की ज़िंदगी भर पाई पाई, इकट्ठा की, घर खरीदा और घर का खर्च चलाने के लिए जिंदगी भर मेहनत करते रहे। उनके खर्च हमेशा उनकी आमदनी से ज्यादा होते थे  और यहाँ पर  Robert Toru Kiyosaki एक बात बहुत अच्छे से समझाना चाहते हैं कि अगर आप इंडिपेंडेंट बनना चाहते हैं, अमीर बनना चाहते हैं। तो आपके खर्चे कभी भी आपकी आमदनी से ज्यादा नहीं होने चाहिए।

बूंद-बूंद  से सागर बनाइये

कौन कितना अमीर है? अगर ये जानना है तो समझें कि उसकी कमाई हुई दौलत किसी आदमी की वो योग्यता है जिसके सहारे वो आगे कई दिनों तक जिंदा रह सकता है यानी अगर वो आज काम करना बंद कर दें तो वो बिना कमाए कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है? यही उसकी अमीरी है। हम चर्चा कर रहे हैं Rich dad poor dad की  Robert Toru Kiyosaki कहते है की आज की कर्जदार सोसाइटी दो बातें मानती है। पहली ये की खुद का एक घर होना चाहिए। दूसरी यह कि अगर सैलरी बढ़ गई है तो फिर एक ज्यादा बड़ा घर खरीद सकते हैं। पर ऐसी सोच ऐसी स्ट्रैटिजी की वजह से परिवार ज्यादा कर्ज में फंस जाता है। लोग बुरी तरह से पैसों की तंगी का सामना करने लगते हैं। वो लोग अपनी जॉब में बहुत अच्छी सैलरी उठा रहे होते हैं, लेकिन इस सोच की वजह से वो सेविंग नहीं कर पाते। इसे हाई रिस्क लिविंग या जोखिम भरी जीवनशैली कह सकते हैं और इसका कारण छोटा सा है। ऐसे लोगों में पैसे की समझ ना होना। पैसे को कैसे मैनेज करते हैं ये पता ना होना 90 के दशक में जॉब्स में बहुत ज्यादा गिरावट आई थी। रिसेशन आया था और तब ये बात पता चली कि जो मिडिल क्लास है वो पैसे के मामले में कितना सुरक्षित है। तब से लेकर आज तक बहुत कुछ बदला है। अच्छी बात यह है कि आज लोग ज़्यादा जागरूक है। उन्होंने सही जगह पर इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया और म्यूचुअल फंड में लोगों ने ज्यादा इन्वेस्ट इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगता है की वो ज़्यादा सुरक्षित औसत म्यूचुअल फंड खरीदने वाले आदमी नौकरी में टैक्स और मॉडगेज चुकाने में अपने बच्चों की कॉलेज की फीस देने के लिए पैसे बचाने में अपना क्रेडिट कार्ड का हिसाब साफ करने में बहुत ज्यादा बीज़ी रहते है।

इतना उनके पास वक्त नहीं होता की वो ये आर्ट सीख लें कि किस तरह से म्यूचुअल फंड लिया जाए या किस तरह से इन्वेस्ट किया जाए। तो फिर वो क्या करते है? फिर वो किसी दूसरे को हायर करते हैं, उसकी काबिलियत पर भरोसा करते हैं और वो जैसा कहता जाता है वो ऐसा करते जाते है क्योंकि जो पढ़ा लिखा मिडिल क्लास वर्ग है जो कि पैसे को संभालना नहीं जानता। वो हमेशा यही सोचता है। जोखिम मत उठाओ, सुरक्षित रहो और असली प्रॉब्लम यही है की पैसे की समझ न होने के कारण लोग खतरों का सामना करते हैं। उनके सेफ रहने के पीछे की इच्छा यानी हमें कुछ ना हो। उसके पीछे का असल कारण ये होता है कि उनके पास पैसे की तंगी होती है। उनकी जो बैलेंस शीट होती है, उसमें खर्चे ज्यादा होते है, इनकम कम होती है या यूं कहें कि उनकी संपत्ति वाला यानी ऐसेट वाला कॉलम खाली रहता है तो कोई गलत बात नहीं होगी। और जब सचमुच। ज़िंदगी में वो once in a lifetime वाला मौका आता है ना तो ये लोग उस मौके का फायदा नहीं उठा पाते क्योंकि इनके पास पैसे ही नहीं होते इन्वेस्ट करने के लिए।

अगर पैसे की समझ आपको हैं, तो आप थोड़ा थोड़ा निवेश करके बूंद बूंद से सागर भर के अमीर हो सकते हैं। आप सूझ बूझ के साथ सही जगह पर इन्वेस्ट करके अपने ₹5000 को ₹10,00,000 में कन्वर्ट कर सकते हैं, पर प्रॉब्लम सोच की है। ये जो गरीब वर्ग या मिडल क्लास जो वर्ग है, वो ऐसे इन्वेस्टमेंट को बहुत ही जोखिम भरा मानता है। पर वो ये नहीं जानता कि प्रॉब्लम इन्वेस्टमेंट में नहीं है। प्रॉब्लम उनकी सोच में है, उनकी नासमझी में है। वो ये नहीं जानते कि पैसा कहाँ लगाना है, वो हमेशा अपने पैसो की जिम्मेदारी दूसरों पर लाद देते हैं और उसके लिए खर्च भी करते हैं। तो अगर आप भी दूसरों की तरह सोचते है, घर को एक ऐसेट समझते हैं। इन्वेस्टमेंट करने से डरते हैं, सेफ रहना चाहते हैं तो ये समझना जरूरी है कि आप किसी के लिए काम करते हैं। सैलरी पर काम करने वाले बहुत ज्यादा लोग मालिक को या फिर अपने शेयर होल्डर्स को अमीर बना रहे होते है। एक्चुअली वो उनके लिए काम कर रहे होते हैं। आप की कोशिश मेहनत और सफलता से। दरअसल आप नहीं सफल होते हैं। आपका मालिक सफल होता है और उसे उसके रिटायरमेंट के लिए एक मदद मिल रही होती है। अच्छा दूसरा उदाहरण आप सरकार के लिए करते हैं, आप समझ सकते हैं कि जब आप काम करते हैं, पैसे कमाते हैं तो उसका एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को जाता है।

तीसरा, अगर आपके पास घर है, जिसे आप अपना ऐसेट मानते हैं जो दरअसल केवल एक लाइबिलिटी है, तो आप बैंक् के लिए काम करते है, क्यों? क्योंकि आपने उन घरों के ऊपर लोन ले रखा है और वो लोन चुकाने के लिए क्रेडिट कार्ड का कर्ज चुकाने के लिए आप दिन रात मेहनत करते हैं। तो अगर आप सिर्फ ज्यादा कड़ी मेहनत से काम करते जाये। तो समस्या यह है कि तीनों ही मामलों में आपको और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी और फायदा आपको नहीं मिलेगा किसी और को मिलेगा तो आपको ये सीखना पड़ेगा की आप की ज्यादा मेहनत से किस तरह आपको और आपके परिवार को फायदा हो। मान लीजिए कि अगर आप ये फैसला कर भी लेते है कि आप सिर्फ अपने काम से काम रखेंगे  पर पैसो की समझ ना होने के कारण उसे मैनेज करने की समझना होने के कारण आपको ये नहीं पता होता कि आप के लक्ष्य को किस तरह से निर्धारित किया जाए। अक्सर लोग अपने प्रोफेशन को बनाए रखना चाहते हैं। अपनी सैलरी के सहारे ही अपनी संपत्ति को अपने ऐसेटस को खड़ा करना चाहते हैं, पर जब उनकी संपत्ति बढ़ती है।तो वो किस तरह अपनी सफलता का आकलन करते हैं? कब कोई दूसरा आदमी यह महसूस करता है कि वो अमीर है कि उसके पास दौलत है और संपत्ति और दायित्व के बीच का बैलेंस कैसा है, ये सब बातें भी समझना उतना ही जरूरी है।तो फिर सवाल वही है की अमीर कैसे बना जाए? अमीर बनने के लिए आपकी संपत्ति आपकी सफलता आपके आसपास का माहौल। आपकी दौलत इन सब के बारे में आपको सोचना पड़ेगा ऐसेटस और लाइबिलिटीज के बारे में सोचना पड़ेगा। सबसे इम्पोर्टेन्ट है कि आपके दिमाग को हमेशा खुला रखना पड़ेगा? क्योंकि ये ज़िंदगी भर का सब्जेक्ट है, आपको ये सब्जेक्ट जिदगी भर पढ़ना है, सीखना है और अमीरी की राह पर आगे बढ़ते जाना है।

नेट वर्थ और सही इनवेस्टमेंट

आँधी छोड़ पूरी को धावे पूरी मिले ना आदि पावे।  मुश्किल के दौर में गरीबी के दौर में अपने आप को कैसे संभाला जाए? अपने आप को कैसे गरीबी से उबारा जाए, इस बात को समझाने के लिए Robert Toru Kiyosaki बहुत ही अच्छा उदाहरण देते हैं। वो कहते हैं कि 1 दिन कर्ज लेने के लिए क्योंकि उनकी आर्थिक हालत खराब हो गयी थी तो उन्होंने अपने नए गोल्फ क्लब आर्ट कलेक्शन, किताबें। स्टीरिओ,टेलिविज़न, उनके महंगे कपड़े, घडियां, जूते और बहुत सारे ऐसी चीजें लोन वाले पेपर में जो संपत्तिवाला कॉलम होता है उसमें लिख दिया, ऐसेट में लिख दिया और भेज दिया। उन्हे लगा कि मेरे पास इतनी सारी चीज़े है तो लोन अप्रूव हो जाएगा। पर उनका लोन का जो पेपर था वो रिजेक्ट कर दिया गया। क्यों? क्योंकि उनका बहुत सारा इन्वेस्टमेंट फ़िज़ूल था लोन कमेटी को वो बात एकदम भी समझ नहीं आई। वो ये जानना चाहते थे कि उनके पास एक नॉर्मल सी नौकरी क्यों नहीं है? जिसमें वेतन मिलता है। उन्होंने उन के महंगे कपड़े और महंगे जो खेल का सामान था, उनके बारे में कोई सवाल नहीं किया। ज़िंदगी में कई बार ऐसी कठिनाइयां आती है जब आप स्टैन्डर्ड प्रोफाइल में फिट नहीं होते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें बड़ा अचंभा होता है जब वो किसी को यह कहते हुए सुनते है की उसकी नेट वर्थ करोड़ों रुपए है, लाखों रुपए है क्योंकि नेट वर्थ के सटीक ना होने का एक खास कारण है। वो ये के जिस पल आप अपनी संपत्तियों को ऐसेटस को बेचना शुरू करते हैं, ना उनका प्राइज , उनका रेट, उनका दाम बहुत कम हो चुका होता है, ऊपर से उन पर आपको टैक्स भी चुकाना पड़ता है और इतनी सारी चीजें आपको पैसे के संकट में डाल देती है गरीबी में फंसा देती हैं।

पैसा इकट्ठा करने के लिए वो अपनी प्रॉपर्टी बेचते हैं, ऐसेटस बेचते हैं। पहले तो वो अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी बेचते हैं जो कि सच कहें तो बहुत ही कम बिकती है और अगर बिकती भी है तो उसपे टैक्स होता है तो इस तरह से एक बार फिर से सरकार फायदे में से अपना हिस्सा ले लेती है। बैंक अपना हिस्सा ले लेता है और जो काम कर रहा होता है वो कर्ज में डूब जाता है। तो सीख यही है की इन सारी चीज़ो में फंसने के बजाय अपने काम से काम रखिए। ये जो कर रहे हैं वो करते चलिए कुछ भी छोड़िये नहीं पर हाँ, थोड़ी एक्स्ट्रा मेहनत करके थोड़े समझदारी से फाइनैंशल लिटरेसी से पैसों को यूज़ करने का, पैसों को इन्वेस्ट करने का हुनर सीखें थोड़ा थोड़ा करके।ऐसेटस बनाते जाइए पर हाँ, ऐसी चीजों को खरीदने से बचें जिनकी कीमत एक बार घर लाने पर कम हो जाती है क्योंकि ये चीजें कभी भी ऐसेटस नहीं हो सकती। गरीबी से बचने का एक दूसरा तरीका यह है कि अपने खर्च कम कर लें। अपनी रिस्पॉन्सिबिलिटीज को, घटा ले और मेहनत ज्यादा करना शुरू कर दें जिससे इनकम ज्यादा हो। अब बहुत सारे लोगों को इस बात में कन्फ्यूजन हो सकती है कि सही जगह निवेश करने का क्या मतलब है? सही इन्वेस्टमेंट क्या है तो Robert Toru Kiyosaki कहते है की ऐसा काम करें जिसमें आपकी मौजूदगी की जरूरत ना हो। स्टॉक्स बॉन्ड खरीदे म्यूचुअल फंड खरीदे आमदनी देने वाले रियल एस्टेट में खर्च करें अपने आपको ग्रूम करने में पैसे खर्च करे। एजुकेशन में जैसे की म्यूजिक लिखना, पेटेन्ट स्पोर्ट्ज़ और ऐसी हर चीज़ जो कीमती है जिसे खरीदने के बाद आपको पैसे मिलते है ना कि आपको उस में पैसे लगाने पड़ते हैं। उस हर चीज़ में आप इन्वेस्ट कर सकते हैं। सबसे जरूरी बात आप जहाँ भी इन्वेस्ट करते हैं, हमेशा ध्यान रखें कि उस इन्वेस्टमेंट से आपको प्यार हो जैसे की  Robert Toru Kiyosaki को इमारतों से और जमीन से प्यार था तो उन्होंने बहुत सारा इन्वेस्टमेंट रियल एस्टेट में किया।

खर्च ही नहीं करना तो कमाए क्यूँ

जब पैसे खर्च ही नहीं करने है तो फिर कमाए क्यों और ऐसी अमीरी का क्या फायदा? ये सवाल हम सभी के मन में आ सकता है। इस बात पर Kiyosaki कहते है की। ये सिर्फ सोच का अंतर है। जो अमीर आदमी होता है। वो भी ये चीज़े खरीदता है। वो विलासिता की चीजें खरीदता है लेकिन सबसे बाद में पहले वो ये देखता है कि क्या करने से उसे फायदा हो सकता है और किस चीज़ की उसे सबसे ज्यादा जरूरत है। वही उल्टा जो मिडिल क्लास आदमी हैं या गरीब आदमी है वो थोड़ा सा पैसा आने पर भी सबसे पहले वो अपने शौक पूरे करता है। घर, हीरे, जूलरी, गाड़ियां कुछ भी खरीद लेता है। अमीर आदमियों के पास भी सब होता है। पर फर्क सिर्फ इतना है कि वो उधार के दलदल में नहीं फंसते।

business man

वो लोग जिनके पास पीढ़ियों से पैसा है, जो लंबे समय से अमीर है, वो अपनी अर्निंग वाले कॉलम को सबसे पहले बनाते हैं, उसे सिक्योर करते हैं। उसके बाद उन के ऐसेटस वाले कॉलम से जो आमदनी होती है जो इनकम होती है उससे वो अपनी luxurious life जीते हैं, एन्जॉय करते है तो गरीब और मिडिल क्लास आदमी अपनी खून, पसीने की कमाई और बच्चों की विरासत की कीमत पर। ये चीज़े खरीदता है, लोन लेता है, सच्ची लग्ज़री, असली संपत्ति में निवेश करने और उसे विकसित करने का प्रोत्साहन देती है, उसे बढ़ावा देती है। Robert Toru Kiyosaki इस बात को एक एग्ज़ैम्पल से समझाते हैं कि जब उनकी वाइफ और उनके पास उनके अपार्टमेंट से अतिरिक्त पैसा आने लगा, रेंट या कुछ भी तब वो बाज़ार गए और। उन्होंने अपने लिए एक महंगी गाड़ी खरीदी। इसमें ज़रा सी भी मेहनत नहीं लगी या जोखिम नहीं था क्योंकि वो पैसा उन्होंने अपनी सेविंग से नहीं बल्कि अपार्टमेंट हाउस के इनकम से खरीदा था पर इसके लिए उन्होंने 4 साल तक इंतजार किया। थोड़ा थोड़ा पैसा इकट्ठा करते रहे और जब रियल इस्टेट पोर्टफोलियों बढ़ा तो आखिरकार वो उन्हें इतना पैसा दे गया। कि एक महंगी कार खरीदी जा सके। ज्यादातर लोग अक्सर इच्छा जागने पर बिना सोचे समझे जाते हैं और कर्ज पर कार या कोई और चीज़ खरीद लाते हैं। हो सकता है कि वो अपनी जिंदगी से ऊब चूके हों या उन्हें सिर्फ एक नए खिलौने की जरूरत हो पर कर्ज पर ऐसी चीज़ खरीदने से देर सबेर वो आदमी उस चीज़ से चिढ़ने लगता है, उसका इंटरेस्ट खत्म हो जाता है।उसको उसमें मज़ा नहीं आता क्योंकि उस चीज़ को खरीदने के लिए जो कर्ज लिया गया है वो उस आदमी के सिर पर भार बन जाता है। अगर एक बार आप अपने बिज़नेस को बनाने, उसमें इन्वेस्ट करने का समय निकाल लेते हैं तो फिर आप उसमें जादू की छड़ी भी घूमा सकते हैं, जो अमीरों का सबसे बड़ा राज़ है और ये राज़ अमीरों को भीड़ से अलग रखता है। या यूं कहें की भीड़ से आगे रखता है। जो अपने काम से काम रखते हैं, अपने काम में फोकसड रहते हैं और ये उन्हीं को मिलता है जो अपने काम में पूरा मन लगाते हैं, अपने काम से काम रखते हैं, वो लोग अमीर बन जाते हैं। 

टैक्स की हिस्ट्री

अगर मिल के चला जाए तो तूफानों को भी शिकस्त दी जा सकती  Robert Toru Kiyosaki अपने बचपन का एक किस्सा सुनाते हैं। कहते हैं कि मुझे याद है हमें स्कूल में Robin Hood और उनके सुखी गिरोह की कहानी बताई गई थी। मेरे स्कूल टीचर का मानना था की ये Kevin costner की तरह के एक रोमेंटिक हीरो की अद्भुत कहानी है जो अमीरों को लूटता था और तो गरीबों में बांट देता था तो मेरे रिच डैड की नजर में रॉबिनहुड हीरो नहीं था। वो उसे बदमाश मानते थे।

रॉबिनहुड को गुजरे हुए तो लंबा समय गुजर चुका है, परंतु उसके जो मानने वाले हैं, जो उसके फैन्स हैं। वो आज भी जिंदा है। न जाने कितनी बार मैंने लोगों को यह कहते सुना हैं की अमीरों को और ज्यादा टैक्स देना चाहिए और उसे गरीबों में बांट देना चाहिए। रॉबिनहुड का ये जो थॉट था, अमीरों से लेकर गरीबों में बांट दिया गया। गरीब और मिडिल क्लास लोगो के लिए ये सबसे ज्यादा दुख का कारण है। इसी रॉबिनहुड आदर्श के कारण मिडिल क्लास पर टैक्स का इतना भारी बोझ लदा हुआ है और सच्चाई तो यह है कि अमीरों पर टैक्स लगता ही नहीं है। गरीबों की भलाई के लिए जो पैसा लगता है वो मिडिल क्लास से आता है, खासकर पढ़े लिखे और ऊंची आमदनी वाले मिडल क्लास से और टैक्स के बारे में अगर हम पूरी तरह से समझना चाहें तो हमे थोड़ा सा इतिहास में हिस्टरी में जाना पड़ेगा। Robert Toru Kiyosaki बताते हैं कि उनके रिच डैड ने बताया था कि इंग्लैंड और अमेरिका में पहले कोई टैक्स नहीं लगते थे। कभी कभार जो वोर्स होती थी, युद्ध होते थे, उनका खर्च जुटाने के लिए टैक्स जरूर लगाए जाते थे, जिसके लिए किंग या फिर प्रेसिडेंट सिर्फ कह भर देते थे और हर आदमी उसकी बात मानकर अपना सहयोग अपनी इच्छा से देता था। बाद मैं सन 1874 में इंग्लैंड ने इनकम टैक्स को अपनी सिटिजन्स पर लागू कर दिया और 1913 में कॉन्स्टिट्यूशन के 16 वें संशोधन के बाद अमेरिका में भी इनकम टैक्स जो है वो लागू हो गया। एक समय था जब अमेरिकी लोग टैक्स विरोधी हुआ करते थे पर धीरे धीरे लगभग 50 सालों के बाद। लोगों ने वो एक्सेप्ट कर लिया। इसमें एक और बात थी।

tax

शुरुआत में ये जीतने भी टैक्स थे ये सिर्फ अमीरों पर लगाए गए थे। तो रिच डैडी चाहते थे कि माइक और वो इस बात को न भूलें और उन्होंने यह बात साफ कर दी थी कि टैक्स का जो थॉट हैं वो लोकप्रिय बना ही इसलिए कि लोगों को लगता था कि इससे अमीरों को सजा दी जाती है। और मिडिल क्लास और गरीबों को मदद मिलती है। पर वक्त ने इस बात को पलट दिया और आज गरीब भी टैक्स का मारा हुआ है और मिडिल क्लास भी या यूं कहें कि सबसे ज्यादा जो टैक्स का मारा हुआ है वो है मिडिल क्लास। Robert Toru Kiyosaki आगे कहना जारी रखते हैं। एक बार सरकार को टैक्स मिल गया तो उन्हें उसके फायदे नज़र आ गए और उनकी भूख बढ़ गई।रिच डैडी ने Robert Toru Kiyosaki को आगे समझाते हुए कहा। कि अमीरों ने वक्त के साथ साथ कॉर्पोरेशन की ताकत को समझा। एकजुट होकर उन्होंने इस टैक्स को पलट दिया और सारा बोझ उन लोगों के ऊपर डाल दिया जिन लोगों ने कभी इसके सपोर्ट में वोट दिया था। यानी कि गरीब और मिडिल क्लास लोग और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अमीरों का पैसा नहीं था, उनकी समझ थी। उनकी जानकारी थी, उन्होंने अपने पैसे को बचाने के लिए संविधान को समझा, रूल्स को समझा और फिर उनमें कमियां निकाली और फिर किस तरह से उनसे बचा जाए ये सब देख परख के कॉर्पोरेशन का सहारा लिया और वो उसमें सफल भी हुए हैं।

अमीरों और गरीबों के बीच ये लड़ाई। सदियों से चलती आ रही है। अब अमीरों से वसूलो का जो नारा लगाने वाली भीड़ थी वो हमेशा अमीरों के खिलाफ़ रही और ऐसी लड़ाईयां तब छिड़ती है जब किसी एक विशेष वर्ग को ध्यान में रखकर कानून बनते है और यह लड़ाई कब खत्म होगी ये कहा नहीं जा सकता। समस्या यह है कि जो लोग हारते हैं उनमें समझ की कमी है। पर वो यह मानते नहीं हारने वाले लोग वो है जो हर सुबह उठकर तैयार होते हैं और अपनी नौकरी में कड़ी मेहनत करते हैं और उस पर टैक्स भी देते हैं। अगर वो ये समझ पाते कि अमीर लोग किस तरह से पैसे का खेल खेलते हैं तो वो भी इस खेल को उसी तरह से खेल सकते थे। फिर वो भी गरीबी से आजाद हो सकते थे। पैसे के मालिक हो सकते थे और अमीर सकते थे, फिर रिच डैड कहते हैं कि इसलिए मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता कि जब कोई अपने बच्चे को ये सलाह देता है की खूब पढ़ो और नौकरी करो। जिस कर्मचारी में पैसे की समझ नहीं है, वो बच नहीं सकता। समाज उसके पैसे को हड़प लेगा और उसे गरीबी की ओर धकेल देगा। कहते है ना की उस देने वाले ने तो कोई कमी ना की। अब किसको क्या मिला? ये मुकद्दर की बात है और ये जो मुकद्दर है ये हम अपनी सोच से, अपनी नॉलेज से। अपनी अवेर्नेस से बदल सकते हैं। अमीरी और गरीबी में सिर्फ सोच और समझ का ही फासला है।

ये खेल खेलना जरूरी है

ना हारना जरूरी है ना जीतना जरूरी है। अरे ये जीवन का खेल है, इसे खेलना जरूरी है।

Robert Toru Kiyosaki कहते है की पैसे कमाना भी खेल ही है। अगर आप इसे एक खेल की तरह एन्जॉय करेंगे तो आप और ज्यादा रिच होते जाएंगे। हर हफ्ते वो निवेश करते हैं और कभी हारते हैं, कभी जीतते है, जब जीतते हैं तो उस निवेश को अगले हफ्ते के लिए सेव कर लेते हैं और जब हारते हैं तो खुद से जीतने वाली की आंख में आंख डालकर कहते ठीक है, अगले सैटरडे फिर मिलते हैं। Robert Toru Kiyosaki की बात से ये समझ में आता है की पैसा कमाना भी खेल जैसा ही है। अगर आप उसे एन्जॉय करते है, उसके पीछे नहीं भागते हैं तो आप। धीरे धीरे ही सही, पर ग्रो करेंगे और जल्द ही अमीर बन जाएंगे। इंसान गलतियाँ करता है और उन गलतियों से सीखता है। अमीर बनना भी कुछ वैसा ही है।

कभी आप गलती करते हैं और हार जाते, कभी आप उस गलती को सुधारने हैं और जीत जाते है उसे बचपन से जवानी तक जब भी हम स्कूल में पढ़ते हैं, या हमारे आसपास भी बच्चों को गलतियाँ करना अलाउड नहीं होता। उन्हें कहा तो जरूर जाता है कि आप गलती कर सकते हैं, पर जैसे ही बच्चा गलती करता है, उसे टोक दिया जाता है, उसे रोक दिया जाता है, उसे डांटा जाता है। और धीरे धीरे हमारे मन में ये धारणा बन जाती है की गलती करना इज नॉट अलाउड। पर अगर देखा जाए हम इंसान गलती करके ही सीखते हैं। हमने आज तक जो कुछ भी अचीव किया है, अपनी गलतियों से अचीव किया है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए Robert Toru Kiyosaki कहते है की इन्वेस्टर्स दो तरह के होते हैं पहले वो जो नोरमल इन्वेस्टर्स होते हैं जो एक पैकेज में निवेश करते हैं, रिटेल आउटलेट में फ़ोन करते है जैसे एक रीयल एस्टेट कंपनी या स्टॉक ब्रोकर या फाइनैंशल प्लैनर को। और फिर वो कुछ। छोटा छोटा खरीद लेते हैं। ये एक म्यूचुअल फंड स्टॉक या बॉन्ड हो सकता है। ये निवेश का एक अच्छा और साफ सुथरा तरीका है और आसान भी है। ये उसी तरह की खरीदारी हो गई जैसे की कोई कस्टमर कंप्यूटर स्टोर में जाकर शेलप पर रखे कंप्यूटर को खरीद ले। वहीं दूसरी तरह के जो इन्वेस्टर्स होते हैं वो अपने इन्वेस्टमेंट को बनाते हैं। वो किसी दूसरे से नहीं खरीदते, वो अपना इन्वेस्टमेंट खुद बनाते हैं। इस तरह के इन्वेस्टर्स और आम तौर पर अपने सौदों को असेंबल करते हैं। जीस तरह कंप्यूटर इंजीनियर कंप्यूटर के पुर्ज़ों को असेम्बल करते है वो। अलग अलग जगहों से सस्ते पार्ट्स लाते हैं और उन पार्ट्स से एक पूरा कंप्यूटर असेम्बल करते हैं जो की उन्हें बहुत सस्ता पड़ता है और फिर वो उसे महंगे दामों में बेच देते हैं।

ठीक उसी तरह से जो दूसरा निवेशक है वो आर्थिक अवसरों के पुर्जों को अच्छी तरह से ऑब्जर्व करता है।

ठीक इसी तरह से जो दूसरा इन्वेस्टर है वो उस समय को पहचानता है और मौके की नजाकत को देखते हुए। अपने कमर्शियल फायदे को देखते हुए चीजों को इस्तेमाल करता है और जो दूसरे किस्म का इन्वेस्टर है, सच में वही प्रोफेशनल इन्वेस्टर होता है। अमीर बनने की राह में रिच बनने की राह में ये जानना बहुत जरूरी है कि किस समय पर क्या ऐक्शन लिया जाए, जिससे आपकी किस्मत बदल जाए और आपको नुकसान भी ना हो। अगर आप दूसरे किस्म के इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो आपको खास तौर से इन तीन क्वालिटीज को अपने अंदर इम्प्रूव करना होगा, क्योंकि फाइनैंशल इंटेलिजेंस के अलावा इन क्वालिटीज की भी जरूरत होती है।

  1. पहला किस तरह ऐसे मौके को खोजें जो दूसरों को दिखाई नहीं देता? दूसरे लोग अपनी आँखों से उस मौके को नहीं देख पाते पर आप अपने दिमाग से और अपने एक्सपीरियंस से , उन मौकों को देख सकते हैं। एग्ज़ैम्पल के लिए Robert Toru Kiyosaki के एक दोस्त ने एक पुराना घर खरीदा जो देखने में बुरा था हर एक को हैरत थी की उसने इसे खरीद क्यों लिया? पर दूसरे जो नहीं देख पाए थे वो उनके दोस्त ने देख लिया था और वो था घर के साथ चार खाली जमीन के टुकड़े। घर खरीदने के बाद उसने उसे तोड़ा और उन पांचों प्लॉट्स को मिलाकर बिल्डर को बेच दिया। इस सारी डील मैं उसने जो पैसा लगाया था वो तो मिला ही, उसके ऊपर से तीन गुना रकम और मिली। उसने सिर्फ दो महीने के काम में लाखों रुपये कमा लिए जो कि उनके लिए बहुत ज्यादा नहीं थे, पर फिर भी देखा जाये की उन दो महीनों की मेहनत में अगर वो जॉब में होता तो कितना कमाता वर्सेज़ उसने इस डील से जो कमाया।
  2. दूसरा पॉइंट पैसा किस तरह से इकट्ठा किया जाए? औसत आदमी बैंक जाता है। पर इस दूसरे किस्म के इन्वेस्टर को ये पता होना चाहिए कि पैसा किस तरह जुटाया जाए और बिना बैंक जाए बिना लोन लिए किस तरह से पैसा इकठा किया जाए। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि उन्होंने भी ये सीखा कि बिना बैंक की मदद लिए घर कैसे खरीदे जा सकते हैं। घर खरीदना बहुत इम्पोर्टेन्ट नहीं है पर पैसा इकट्ठा करना बहुत इम्पोर्टेन्ट हैं, अक्सर वह लोगों को ये कहते सुनते हैं कि बैंक मुझे लोन नहीं दे रहा है या मेरे पास इसे खरीदने के लिए पैसे ही नहीं है। अगर आप दूसरे किस्म के इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो आपको यह सीखने की जरूरत है क्योंकि ज्यादातर लोग सिर्फ इसलिए सौदे नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास पैसा ही नहीं होता। तो अगर आप इस प्रॉब्लेम को पार कर सकते हैं तो आप एक सच्चे इन्वेस्टर हो सकते हैं और बहुत प्रॉफिट कमा सकते हैं।
  3. तीसरा पॉइंट किस तरह से स्मार्ट लोगों के इकट्ठा किया जाए, बहुत ऐसे लोग बहुत समझदार होते हैं जो या तो अपने से ज्यादा समझदार लोगों के साथ काम करते हैं या फिर उन्हें अपने साथ काम पर रख लेते हैं, जबकि आपको सलाह की जरूरत होगी ना तो यही समझदार लोग आपके सलाहकार का काम करेंगे। तो सीखने के लिए बहुत कुछ है, पर हाँ अगर आपने मन लगाकर सीखा तो आपको उसके फायदे भी बहुत मिलेंगे। पर हाँ अगर आपके अंदर इतनी इच्छा नहीं है, आप इतना टाइम नहीं दे सकते हैं, आप उतने अमीर नहीं बनना चाहते तो फिर आपको पहले किस्म पर ही इन्वेस्टर बने रहना चाहिए। आप जो  जानते हैं वही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है आप जो नहीं जानते वही, आपका वही आपका सबसे बड़ा जोखिम है। जोखिम तो हमेशा रहता है इसिलिए इससे बचने के बजाय इसे मैनेज करना सीखें तभी आप तरक्की कर पाएंगे और अमीर बन पाए।

मुसीबतों को अवसर मै बदलो

जब जिंदगी आपको नींबू थमाए तो जल्दी से शरबत बना लो और पी लो। अवसर पहचानना किसी भी इन्वेस्टर की सबसे बड़ी क्वालिटी होती है। फाइनैंशल बुद्धि का मतलब है ज़्यादा विकल्प होना। अगर अवसर आपके सामने आ ही नहीं रहे है तो फिर आप अपनी गरीबी को सुधारने के लिए और क्या कर सकते? अगर कोई अवसर आपकी झोली में आकर गिर जाए पर आपके पास पैसा ही नहीं है और आप उसमें इन्वेस्ट ही नहीं कर सकते। ऊपर से बैंक वाले आपको उधार नहीं दे रहे हो, आप पैसे का कहीं से इंतजाम नहीं कर पा रहे। तो फिर उस मौके का फायदा कैसे उठा सकते हैं? मान लीजिए अगर आपका अनुमान जो है वो गलत हो जाए और अगर आप जिसकी उम्मीद करते हैं वो नहीं हो। तो फिर आप क्या करेंगे? कैसे एक छोटी सी चीज़ को लाखों में बेचेंगे? अगर ये करना आपको आता है तो इसे ही कहते हैं। फाइनैंशल बुद्धि यानी फाइनेंशियल इंटेलिजेंस ज्यादा मतलब नहीं हैं इस बात से पर एक एग्ज़ैम्पल लेते है कि एक नीबू हैं और उसको लाखों में बेचना है तो लाखों में बदलने के लिए कितनी? अलग अलग तरह से आप उसको यूज़ कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी पैसे की समस्याओं को सुलझाने में कितने क्रिएटिव है। ज्यादातर लोग केवल एक समाधान जानते हैं। नींबू निचोडो और शरबत बना के पी लो यानी की कड़ी मेहनत करो, बचत करो और उधार लो। तो आपको अपनी फाइनैंशल बुद्धि क्यों बढ़ानी चाहिए? Robert Toru Kiyosaki कहते हैं क्योंकि आप उस तरह के इंसान होना चाहते हैं जो अपनी किस्मत खुद लिखता हूँ। आप जो हो रहा है उसे होने देते है और उसे बेहतर में बदलने की ताकत रखते हैं।

ऐसे बहुत कम लोग ये बात समझ पाते हैं कि किस्मत भी हम ही लिखते हैं। जीस तरह की पैसा बनाया जाता है।अगर आप ज्यादा किस्मत वाले होना चाहते हैं और ज्यादा पैसा बनाना चाहते हैं तो बहुत कड़ी मेहनत करने के अलावा आपको अपनी फाइनैंशल बुद्धि को भी तैयार करना होगा। सीखना होगा। अगर आप इस तरह के आदमी है जो सही चीज़ होने का इंतजार करता है तो शायद आपको बहुत लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। ये तो बस उसी तरह की बात हो गयी की आप गैरेज से गाड़ी निकालने के पहले ये डिसाइड करना चाहते हैं कि भई अगले पांच मील तक सभी स्ट्रीट लाइट ठीक रहेंगी, बर्फ़ नहीं गिरेगी, ऐक्सिडेंट नहीं होगा वगैरह वगैरह। ये चीजें आपके कंट्रोल में नहीं है, आपके कंट्रोल में है सिर्फ गाड़ी चलाना ठीक उसी तरह से आपके कंट्रोल में है आपने प्लानस बनाना, अपनी समझ और सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए।

सीखना बंद तो तरक्की बंद

जिसका काम से आप एक महान इंसान बन सकते हैं एक अमीर इंसान बन सकते हैं। क्या वो काम आप चंद पैसों के लिए करेंगे? नहीं ना सीखने के लिए काम करें, पैसों के लिए नहीं। Robert Toru Kiyosaki एक घटना का जिक्र करते हैं। कहते हैं कि 1995 में मैंने सिंगापुर के एक अखबार में इंटरव्यू दिया। युवा महिला रिपोर्टर बहुत ही टाइम पे आ गयी और इंटरव्यू शुरू हो गया। हम एक बहुत ही बड़े से होटल की लॉबी में कॉफी पी रहे थे और और मेरा जो सिंगापुर जाने का रीज़न था, उसके बारे में डिस्कशन कर रहे थे। तभी उस रिपोर्टर ने मुझसे कहा। 1 दिन में भी आप की तरह एक बेस्ट सेल्लिंग लेखक बनना चाहती हूँ। मैंने उसके कई लेख पढ़े थे और उनसे प्रभावित भी था। वो बहुत अच्छा लिखती थी। बहुत ही साफ तो मैंने उससे कहा, बिल्कुल आप कर सकती हैं क्योंकि आप जो लिखती हैं वो बहुत ही बढ़िया है। वैसे कौन सी चीज़ है जो आपको आपके सपनों को पाने से रोक रही है? उसने कहा कि मेरा काम जो है वो कभी कहीं जाता है, कभी कही जाता है। हर आदमी कहता है कि मेरे उपन्यास बहुत बढ़िया है, पर एक्चुअली होता कुछ नहीं है, इसलिए मैं एक बार में काम कर रही हूँ। कम से कम इससे मेरा खर्च तो चल ही जाता है।

आपके पास कोई सुझाव है? क्या इस बारे में? मैंने कहा हाँ, बिल्कुल है। सिंगापुर में मेरा एक दोस्त है। वो एक स्कूल चलाता है जहाँ लोगों को बाइंग से रिलेटेड ट्रेनिंग दी जाती है। वो सिंगापुर में कई बहुत ही बड़े बड़े कॉरपोरेशंस के लिए सेल्स ट्रेनिंग कोर्स चलाता है और मैं समझता हूँ कि उसके कोर्स में शामिल होने से आपका करियर बहुत ज्यादा आगे चला जाएगा। ये बात सुनने के बाद। वो थोड़ा सा रूखी हो गयी। वो कहने लगी की मतलब आप ये कहना चाहते है की मुझे ये सब सीखने के लिए स्कूल जाना पड़ेगा तो मैंने हाँ कह के सिर हिलाया। और फिर उसे इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं सचमुच उसे स्कूल जाने के लिए कह रहा हूँ। मैंने उससे कहा कि इसमें गलत क्या है? पर तब मुझे रियललाइज हुआ की मुझे अपने शब्द वापस लेने चाहिए। उसे मेरी किसी बात का बुरा लग गया था शायद और अब मैं सोच रहा था कि कितना अच्छा होता अगर मैंने उसे कोई सुझाव नहीं दिया होता। उसकी मदद करने की कोशिश में मैंने सुझाव दिया था और अब मुझे खुद ही बुरा लग रहा था। उसने कहा कि मेरे पास इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर्स डिग्री है। मैं सेल्स मैन बनना सीखने के लिए स्कूल क्यों जाऊ? मैं एक प्रोफेशन में प्रशिक्षित होने के लिए स्कूल गई थी ताकि मुझे सेल्समैन न बनना पड़े। अब वो अपना ब्रीफकेस ताकत से बंद कर रही थी और इंटरव्यू खत्म हो चुका था और उसकी बॉडी लैंग्वेज से पता लग रहा था की वो नाराज थी। वही कॉफी टेबल पर मेरी एक बेस्ट सेलिंग बुक रखी हुई थी। मैंने उसे उठाया और उस लेडी के द्वारा लिखे गए नोट्स को भी अपने दूसरे हाथ में रखा। मैंने उससे कहा कि क्या आप इसे देख सकती है? मैंने उसके नोट्स की तरफ इशारा किया। उसने अपने नोट्स पर नजर डाली। क्या? उसने उलझन में कहा। एक बार फिर मैंने उसके नोट्स की तरफ जानबूझकर इशारा किया। एक बार फिर मैंने उसकी नोट्स की तरफ जानबूझकर इशारा किया, जिस पर  उसने लिखा था Robert Toru Kiyosaki, बेस्ट सेल्लिंग लेखक यहाँ पर बेस्टसेलिंग राइटर लिखा हुआ है ना की बेस्ट राइटिंग राइटर तब उसे मेरी बात समझ में आई । 

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डरकर के नौका पार नहीं होती। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि जब आप रिच बनने की सोचते हैं, रिच बनने की ठानते हैं, अमीर बनने की कोशिश करते हैं। तो बहुत सारी बाधाओं को पार करना पड़ता है। तो उनके अनुसार अमीरी की राह में ऐसी पांच बाधाएं हैं जो लोगों को रोकती है। आगे बढ़ने से  पहला कारण है डर। पैसा खोने के डर से पार पाना। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि वो अपनी जिंदगी में ऐसे न जाने कितने अमीर लोगों से मिले हैं, जिन्हें पैसे का नुकसान हुआ है। पर वो फिर भी अमीर है। पर ऐसे एक भी गरीब इंसान से नहीं मिले हैं जिसने अपनी एक,दमडी भी कोई हैं। अमीर बनने की राह में इन्वेस्टमेंट की राह में पैसा खो जाने का डर बहुत ही नैचरल है, बहुत ही स्वाभाविक है। ये हर इंसान को होता है, अमीरों को भी होता है, गरीबों को भी होता है, पर प्रॉब्लम डर नहीं है। प्रॉब्लम है की  आप इस डर का सामना किस तरह से करते हैं, पैसा खोने के बाद की स्थिति से, उसकी सिचुएशन से किस तरह से बाहर आते हैं? आप अपनी असफलताओं को किस तरह से ट्रीट करते है? ये आपकी लाइफ में बहुत इम्पोर्टेन्ट है। ये आपकी लाइफ में केवल पैसे के बारे में नहीं है बल्कि हर चीज़ के बारे में है। एक अमीर आदमी और एक गरीब आदमी के बीच का जो अंतर होता है वो बस यही होता है कि अमीर आदमी अपने डर से किस तरह से जीतता है और गरीब आदमी अपने डर से किस तरह से हार जाता है? लोगों के पैसा खोने का डर ठीक वैसा ही है जैसे की मोटरसाइकिल से गिरने पर चोट लगने का डर। उस चोट लगने के डर से ज्यादा एक्साइटमेंट आपको उस बाइक को चलाने का होता है और उस एक्साइटमेंट में उसी खुशी में आप बाइक चलाना सीख लेते हैं, ठीक वैसे ही पैसे के खोने के डर से ज्यादा उसे अर्न करने की खुशी अगर आपको हो। तो आप धीरे धीरे ऐसेटस  पर ध्यान देंगे, उन्हें खरीदेंगे और एक वक्त पर अमीर बन जाएंगे।

  The success story

मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंजिल मगर लोग यू जुड़ते गए और  कारवा बनता गया।

Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि पैसा मेरे लिए काम करें और मैं पैसे के लिए काम ना करूँ। मेरा यह पहला सबक दरअसल ताकत के बारे में है। अगर आप पैसे के लिए काम करते हैं तो आप ताकत को अपने बॉस के हाथ में दे देते हैं या आप जिसके लिए काम कर रहे होते हैं आप अपनी आज़ादी उसके हाथ में दे देते हैं। अगर आपका पैसा आपके लिए काम करता है। तो आप अपने पैसे के, अपने काम की, अपनी जिंदगी के खुद मालिक होते हैं। एक बार हमें हमारे लिए काम करने वाले पैसे की ताकत का ज्ञान हो जाए, फिर हमें पैसे के लिहाज से स्मार्ट हो जाना चाहिए और हमें डराने वाले लोगों से निपटने के लिए। रास्ते ढूंढ लेने चाहिए। पर ऐसा करने के लिए आपको कानून की समझ होनी चाहिए। अपने आसपास की समझ होनी चाहिए। मार्केट में क्या चल रहा है, इस बात की समझ होनी चाहिए और सिस्टम कैसे काम करता है, इसकी भी समझ होनी चाहिए। अगर आप अवेयर नहीं है मतलब?  नॉलेजेबल नहीं है, आप केयरलेस है, अपनी चीजों को समझना नहीं चाहते तो आपको बड़ी आसानी से डराया और हराया जा सकता है। अगर आप जानते हैं कि आप क्या बात कर रहे हैं और मुसीबत कैसी है और उसे कैसे सॉल्व किया जाए। तो आपको आसानी से डराया नहीं जा सकता। Robert Toru Kiyosaki के रिच डैड  हमेशा उन्हें ये कहा करते थे कि स्मार्ट बनो ताकि तुम्हें कोई भी कहीं से भी आकर धक्का ना दे जाए और उन्होंने अपनी जिंदगी में बस इसी उसूल को अपनाया था।

वो कानून जानते थे क्योंकि वो कानून का आदर करते थे। वो कानून जानते थे क्योंकि कानून ना जानना बहुत महंगा साबित हो सकता था। अगर आप जानते हैं कि आप सही है, तो आप किसी से भी उलझने से नहीं डरेंगे। आप किसी के भी सामने अपनी बात रखने से नहीं डरेंगे, चाहे आप का मुकाबला विश्व के सबसे ताकतवर आदमी से ही क्यों ना हो। तो Robert Toru Kiyosaki के जो पुअर डैड थे वो हमेशा उन्हें मोटिवेट करते थे की वो कुछ भी करके एक अच्छी सी नौकरी कर लें, कॉर्पोरेशन में किसी मुझे पद पर चले जाए। और यही बात जब Robert Toru Kiyosaki ने अपनी रिच डैड से शेयर की तो वो हँसे और उन्होंने कहा कि उस कॉर्पोरेट लैडर पर चढ़ने की बजाय क्यों ना उसका मालिक ही बन जाया जाए? बचपन में Robert Toru Kiyosaki को ये समझ नहीं आया था कि कॉर्पोरेशन के मालिक होने से रिच डैड का क्या मतलब था? पर मुददे की बात ये है की अगर Robert Toru Kiyosaki के रिच डैड नहीं होते तो वो अपने पुअर डैड की बात मानकर किसी जगह नौकरी कर रहे होते हैं। उनके रिच डैड ने बार बार याद दिलाया के भीड़ के साथ चलने की जरूरत नहीं है। अपनी सोच रखो, अपनी समझ रखो और फिर अपनी ज़िंदगी की दिशा खुद तय करो। Robert Toru Kiyosaki अपनी कहानी कहते हैं कि जब तक मैं 25 साल का हुआ, तब तक मेरे रिच डैड की सलाह मुझे समझ नहीं आती थी। उन्होंने कुछ दिन पहले ही मरीन कॉपस छोड़ दी थी और ज़ेरॉक्स कंपनी के लिए काम कर रहे थे वहाँ उन्हें बहुत पैसा मिल रहा था पर। बार बार अपनी तनखाह को चेक करते थे और हमेशा निराश होते थे। टैक्स इतना ज्यादा कटता था कि उन्हें और ज्यादा काम करना पड़ता था अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए। धीरे धीरे वो सफल होने लगे। सक्सेसफुल होने लगे तो उनके जो बॉस थे उन्होने उनको प्रमोशन दिया और सैलरी बढ़ा दी। उन्हें यह बात सुनकर बहुत अच्छा लगा और जैसे ही उन्होंने अपनी बात अपने रिच डैड से शेयर की तो उन्होंने कहा, अच्छा तो तुम्हारे बॉस अमीर बन रहे हैं, तुम्हारी कंपनी अमीर बन रही है, तुम किसके लिए काम कर रहे हो? तुम किसे अमीर बना रहे हो? तो बस 1974 में ज़ेरॉक्स के एक कर्मचारी के रूप में ही उन्होंने अपना पहला कॉर्पोरेशन बनाया और अपने काम से काम रखना शुरू कर दिया।

पहले से ही उन्होंने संपत्ति वाले कॉलम में कुछ चीजें लिख रखी थी और खरीद रखी थी। पर अब उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें और ज्यादा बढ़ाना है, उन्हें अपने ऐसेट्स और बढ़ाने हैं और अपनी लाइबिलिटीज को और कम करना है। जैसे जैसे वक्त बीतता गया जैसे जैसे Robert Toru Kiyosaki पैसे को समझते गए, इसके गणित को समझते गए इसके व्यवहार को समझते गए। उन्हें अपने रिच डैडी की सलाह समझ में आने लगी। एक बार उन्होंने अपने काम से काम रखने की ठान ली और अपनी संपत्तियां अपने असेट बढ़ाने शुरू कर दिए और एक बेहतरीन कर्मचारी बन गए। उनके पास अब एक लक्ष्य था। वो सुबह जल्दी जाते थे, मेहनत से काम करते थे, ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाते थे और अपने रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करते थे और वो दौर भी ऐसा था कि उस समय। नयी नयी चीज़े, नए नए  डेवलपमेंटस हो रहे थे जिसमें संभावनाएँ तलाश की जा सकती थी तो उन्होंने ज़ेरॉक्स मशीनें बेची। जितनी ज्यादा वो मशीन बेचते उन्हें उतना ही ज्यादा फायदा होता लेकिन वो फायदा उनकी जेब में नहीं जाता। वो फायदा जाता कंपनी को और Robert Toru Kiyosaki की जेब से कटता था टैक्स ये बहुत ही मोटिवेशनल था।

इस सिचुएशन में लोग हताश हो जाते हैं पर Robert Toru Kiyosaki ने इसको पॉज़िटिव लिया और वो इस नौकरी के जाल से बाहर निकल आए। वो ये समझ गए थे की उन्हें किस तरह से बाहर आना है पर जल्दबाजी में उन्होंने नौकरी नहीं छोड़। धीरे धीरे सिर्फ 3 साल के समय में ही उन्होंने ज़ेरॉक्स कंपनी की तुलना में अपने छोटे से कॉर्पोरेशन कंपनी से ज्यादा कमाना शुरू कर दिया था और उनका कॉर्पोरेशन रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करने वाली कंपनी थी और वो पैसा जो कि वो अपने ऐसेट से कमा रहे थे वो उन्हीं के लिए दोबारा काम कर रहा था। अब उन्हें फोटोकॉपीअर बेचने के लिए दरवाजे दरवाजे जाने की जरूरत नहीं थी। अपने रिच डैड की सलाह से उन्हें बहुत फायदा हुआ। जल्दी ही उनकी प्रॉपर्टी से आने वाले कैश फ्लो में इतना ज्यादा बढ़ोतरी हो गई कि उनकी कंपनी ने उनके लिए पहली कार खरीदकर दी। उनकी पुरानी कंपनी ज़ेरॉक्स के लोगों को लगा कि वो अपना कमिशन बेच रहे हैं, परंतु ऐसा था नहीं। उन्होंने अपने कमिशन को अपने ऐसेट्स में कन्वर्ट कर रखा था। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि उनका एक एक रुपया उनकी एक एक एम्प्लॉई जैसे उनके लिए काम कर रहा था। क्यों? क्योंकि उन्होंने सही जगह पर इन्वेस्ट किया था। अपने रिच डैड से सीखे गए सबक के कारण वो इस चूहा दौड़ के मिथक से बाहर आ गए थे और कम उम्र में ही एक इम्प्लॉयर बन गए थे। स्कूल में पढ़ाया जाता है। कैसे एंप्लॉयी बने? पर अपने रिच डैड की बात मानकर वो एक एम्प्लॉयर बने और यह सब पॉसिबल हुआ। पैसे को सही जगह पर इन्वेस्ट करने की समझ से पैसे को मैनेज करने की समझ से। फाइनेंशियल लिटरेसी से बहुत सारी मुश्किलें आईं पर अपनी सूझबूझ से और अपनी नॉलेज से Robert Toru Kiyosaki उन मुश्किलों से आगे बढ़ते गए और लोग उनको फॉलो करने लगे। वो जब भी फाइनेंशियल सेमिनार में दूसरों को सिखाने को जाते हैं उनको अपनी बात बताते तो वो हमेशा कहते हैं कि फाइनैंशल आईक्यू। स्पेशलाइजेशन के चार बड़े फील्ड से आने वाले ज्ञान का मिक्सचर है।

ये नॉलेज का मिक्सचर है सो वो चार फील्ड कौन कौन सी है? पहला है अकाउंटिंग रॉबर्ट कहते हैं कि जिसे में फाइनैंशल साक्षरता कहता हूँ, अगर आप अंपायर खड़ा करना चाहते हैं, साम्राज्य बनाना चाहते हैं तो यह सबसे इम्पोर्टेन्ट है। आप जीतने ज्यादा पैसे के लिए जिम्मेदार होंगे, उतना ही ज्यादा आपको बारीकी से नॉलेज होने की जरूरत है। नहीं तो आपका जो साम्राज्य है, आपका जो अंपायर है वो ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा। इस योग्यता इस क्वालिटी की वजह से आप किसी भी बिज़नेस की जो कमजोरियां हैं, वीक पॉइंट है और उसकी जो प्लस पॉइंट है उन्हें पहचान सकते हैं। दूसरा फील्ड है जो इम्पोर्टेन्ट है वो है इन्वेस्टमेंट। जिससे वो पैसे से पैसे बनाने का विज्ञान कहते हैं। इसमें तकनीक के रणनीतियां स्ट्रैटिजी फॉर्मूले इन सब की जरूरत होती है। तीसरा है बाजार की समझ मार्केट की समझ, डिमांड सप्लाई का साइंस, बाजार के तकनीकी पहलुओं को जानने की जरूरत है जो कि भावनाओं द्वारा संचालित होते जी हाँ मैक्सिमम जनता इमोशनल होकर चीज़े करती है और उसका फायदा उन लोगों को होता है जो कि दिमाग से सोचते हैं। खास कर के पैसे के बारे में। चाहे वो गाड़ी खरीदना हो, घर खरीदना हो या कोई भी सुख सुविधाएं हों। ये सारी चीजें इमोशन्स से होती है और फायदा हमेशा दूसरे व्यक्ति को होता है जो इन्हें बेच रहा होता है। और चौथी फील्ड है कानून लॉ। उदाहरण के तौर पर अकाउंटिंग, इन्वेस्टमेंट और बाजारों की तकनीकी दक्षताओ के साहारे कॉर्पोरेशन की जो क्षमता थी वो बहुत बढ़ गई थी।

कोई भी आदमी जिसे कॉर्पोरेशन के द्वारा दिए जाने वाले टैक्स के फायदों और सुरक्षा का ज्ञान हो वो बहुत तेजी से तरक्की कर सकता है और अमीर बन सकता है पर वैसा करना जो कि किसी नौकरीशुदा कर्मचारी के लिए। पॉसिबल नहीं है तो उन दोनों में उतना ही डिफरेंस होगा जितना कि एक पैदल चलने वाले इंसान में और ये उड़कर जाने वाले मैं होता है। ये अंतर बहुत ज्यादा है। तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अपने रिच डैड की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए Robert Toru Kiyosaki एक सक्सेसफुल इंसान बने, जिन्हें दुनिया फॉलो करती हैं और जिनकी लिखी बातें पढ़कर और जिनकी बातें सुनकर लोग आज भी मोटीवेट होते हैं। 

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