Hindi Summary of रिच डैड पुअर डैड Robert Toru Kiyosaki’s Book Rich Dad Poor Dad Part-1

इंसान कहता है कि मेरे पास पैसे आए तो मैं कुछ करूँ और पैसा है की  कहता है अरे इंसान तू  कुछ कर तो सही तभी तो मैं तेरे पास आऊँगा जी ये भी उतना ही बड़ा सत्य है जैसे कि सूरज पूरब से निकलता है बच्चा माँ की कोख से ही जन्म लेता है।  वैसे ही पैसे को अगर  सही ढंग से समझा ना  जाए संभाला ना  जाए तो वो बहुत सारे दुख देता है तो बस इसी पैसे को समझने और इसे संभालने की कला के बारे में आज हम चर्चा करेंगे यानी की हम बात करेंगे Robert Toru Kiyosaki की  लिखी बुक Rich Dad Poor Dad की। यह किताब अमीरी का शॉर्टकट नहीं बताती ये सिखाती है कि आप पैसे की समझ कैसे विकसित करें किस तरह से अपने पैसे की जिम्मेदारी निभाई और उसके बाद किस तरह से अमीर बने।

दोस्तों जब भी बात जिम्मेदारी की आती है तो नाम याद आता है उस शख्स का जिसने जिंदगी में कितनी भी ठोकरें खाई हो कितना भी दुखी रहा हो पर हमारे हिस्से के गम लिए और अपने हिस्से की खुशी हमें दे दी पिता जेब खाली हो फिर भी मैंने उन्हें मना करते नहीं देखा जेब खाली हो फिर भी मैंने उन्हें मना करते नहीं देखा अरे मैंने अपने पिता से ज्यादा अमीर इस दुनिया में कोई इंसान नहीं देखा। Robert Toru Kiyosaki उसी पिता को ध्यान में रखते हुए उन्हें मेन कैरेक्टर ऑफ द स्टोरी बनाते हुए आज की जिंदगी के सबसे  इम्पोर्टेन्ट lesson को पढाने की कोशिश की है।  which is money हम बचपन से लेकर जवानी तक सिर्फ marks  का के पीछे भागते है। एक हमारा जो एजुकेशन का पैटर्न है पढ़ाई का तरीका है हम बस बचपन से लेकर आज तक सिर्फ यही सुनते आये हैं की पढ़ो पढ़ो पढ़ो और पढ़ो और एक लेवल तक पहुंचने के बाद एक age के बाद डिसाइड करो कि अब क्या करना है।

Robert Toru Kiyosaki इसी बात को बहुत ही खूबसूरती से  कहते हैं की हमें पैसे को एक subject की तरह बचपन से ही सकूलों में पढ़ाना चाहिए। अगर आज पढ़ाई का मतलब ज़िन्दगी में सफल होने का मतलब ज्यादा पैसे कमाने से है तो क्यों ना उस पैसे को सही ढंग से मैनेज करने का गुण हमें बचपन से ही मिले  स्कूल 6 घंटे के 8 घंटे के होते हैं पर बाकी जो वक्त है वो घर पे बीतता है। तो कहीं ना कहीं स्कूल हो या घर हो, बच्चे को बचपन से ही पैसे की अहमियत, उसकी इम्पोर्टेंस, उसकी मैनेजमेंट के बारे में अगर पढ़ाया जाए तो इसमें कोई भी गलत बात नहीं है। मुझे लगता है की ये बात कही न कही मिसिंग थी। शायद कई सालों से ये जद्दोजहद है कि इसे शुरू किया जाए, इसे समझाया जाए। बहुत सारी फ़िल्में बनी हैं इस पर लेकिन। आज भी हम मार्क्स, मार्क्स और मार्क्स के पीछे भागते हैं। अब अगर घर में पैसे को सही ढंग से मैनेज करने की कला आ जाए अगर हमारी समझ डेवलप हो जाए तो मुझे लगता है कि जो आजकल के बच्चे वो बड़े जब होंगे तो वो खुश रहेंगे। इंसान को कंप्लीट करने के लिए। उसका परिवार, उसके अपने उसके दोस्त, उसका रहन सहन, सब बहुत जरूरी होता है। ये तो नहीं कह सकते की पैसा ही सबकुछ है पर हा सब कुछ पाने के लिए ये पैसा जरूरी है।

काश पहले कर लिया होता।

काश काश की मैंने ये बुक 20 साल पहले पढ़ी होती। ये लाइन अमेरिका के एक बहुत ही बड़े बिल्डर Larison Clark ने कही थी, जब उन्होंने Rich Dad Poor Dad पड़ी थी। समय बीत जाता है और हम काश मैं फंसे रह जाते हैं।

ऐसी बहुत सारी चीजे हमें जब पता लगती है जिससे हमारी लाइफ बदल सकती थी, हमें कुछ सीखने को मिल सकता था, हमें तरक्की करने को मिल सकता था। पर वक्त बीत चुका होता है और बस रह जाता है तो ये एक काश काश की मैंने ये कर लिया होता। इस किताब में लेखक ने अपने दो पिताओं का जिक्र किया है। एक जो रिच डैड थे, जिनके पास बहुत पैसा था और एक जो पुअर  डैड थे। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि वे अपने दोनों पिताओं को बराबर का सम्मान देते थे और उनके जो दोनों पिता थे वो भी उन्हें उतना ही प्यार करते थे। बहुत सारे लोगों के सवाल हो सकते हैं की एक ही वक्त पर एक इंसान के दो पिता कैसे हो सकते हैं? मुझे लगता है कि हम अगर इस बात पर ध्यान दें कि Robert Toru Kiyosaki हमें समझाना क्या चाहते हैं तो हमारे लिए फायदे की बात होगी।

हो सकता है उन्होंने ऐसा मान लिया हो। हो सकता है उन्होंने अपने मन को पुअर डैड और अपने दिमाग को रिच डैड माना हों या यह हो सकता है कि एक डैड उनके रहे हो और दूसरे डैड उनके किसी दोस्त के कुछ भी हो सकता है। important ये नहीं है की ये जो डैड का रिफरेन्स लिया उन्होंने ये कहानी हैं या काल्पनिक है। असल बात यह है कि Robert Toru Kiyosaki  हमें समझाना क्या चाहते हैं  हमें बताना क्या चाहते हैं। चलिए मान लेते हैं की Robert Toru Kiyosaki के दो पिता थे और उनमें से एक बहुत अमीर थे और एक बहुत गरीब थे तो Robert Toru Kiyosaki कहते है की। सोच जो है वो बहुत बड़ा रोल प्ले करती हैं। और इसी माध्यम से Robert Toru Kiyosaki कहते है की हालांकि वो दोनों पिता उनके अपने थे। हालांकि दोनों पिता उनका उतनी ही शिद्दत से उतने ही मन से ख्याल रखते थे, उतना ही प्यार करते थे, अपनी जान निछावर करते थे और हमेशा उन्हें सिखाने की कोशिश करते थे जिंदगी में आगे बढ़ाने की कोशिश करते थे। ऐसा क्यों था कि उनके एक पिता अमीर थे और एक पिता गरीब ? सारा खेल सोच का है सारा खेल नजरिये का हैं नजरिया इंसान को तरक्की दिला सकता है और नजरिया इंसान के जीवन की नाव को डुबा सकता है तो ये हमारे ऊपर है कि हम किस रंग के चश्मे को पहन कर कैसा मौसम देखते हैं। किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि जैसा दर्द हो वैसा मंजर होता है अरे मौसम तो इंसान के अंदर होता है और उसी अंदर के मौसम को हमेशा बनाए रखकर  और अपने आप को पॉज़िटिव रखते हुए अपना नजरिया सकारात्मक रखते हुए अगर हम आगे सोचे तो कुछ अच्छा तो जरूर होगा।

समझो पैसा क्या है

गरीब और मध्यमवर्गीय लोग पैसे के लिए काम करते। और जो अमीर होता है उसका पैसा उसके लिए काम करता है।

स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो ये जो लाइन है। याद करिए, बचपन में हम सब ने सुना है। और एक बार नहीं कई बार सुना है। रिश्तेदारों से, घरवालों से, टीचर्स से हर एक से स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो। एक वक्त ऐसा लगता था की बस पढ़ते रहो, पढ़ते रहो, पढ़ते रहो पर जैसे- जैसे समझ आगे बढ़ी। एक सवाल मन में घर करने लगा आखिर हम पढ़ किस लिए रहे हैं? देखिये स्कूल जाना और पढ़ाई करना है, यह बहुत ही अच्छी बात है लेकिन। अगर कोई काम किया जा रहा है तो वो किस वजह से किया जा रहा है, ये जानना भी उतना ही जरूरी है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हम सबसे पहले जॉब ढूंढ़ते हैं। ये सोच करके की जॉब मिलने पर हमारी सारी प्रॉब्लम्स दूर हो जाएगी। पैसे मिल जाएंगे, हम घर बना लेंगे, गाड़ी खरीद लेंगे और जो भी जरूरतें हैं, पैसे से जुड़ी हुई वो सब पूरी कर लेंगे पर ऐसा होता नहीं है। बहुत सारे लोग अच्छी जॉब और बहुत ही अच्छी सैलरी होने के बावजूद खुश नहीं होते। वो अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पाते, बहुत ही मुश्किल से घर का खर्च चला पाते हैं पर वो लगे रहते हैं इस उम्मीद में कि शायद अगले साल फिर से इन्क्रीमेंट होगा। पैसे बढ़ेंगे और उन पैसों से हम अपनी जो जरूरतें हैं जो पूरी नहीं कर पाए हैं, उन्हें पूरी कर लेंगे और वो और ज्यादा मेहनत करते हैं प्रमोशन पाने के लिए, पर वक्त के साथ साथ हमारी जरूरतें और हमारा लालच बढ़ने लगता है।

पहले तो पैसे के बिना डर से हम बहुत मेहनत करने लग जाते हैं और उसके बाद जब हमे सैलरी मिलने लगती है तो हमें लालच और और ज्यादा पाने की इच्छा जाग जाती है। और चूहे बिल्ली के इसी खेल में हमारी जिंदगी का भी एक पैटर्न बन जाता है। ज़्यादा मेहनत करो, ज्यादा पैसे कमाओ। ज़्यादा पैसे कमाओ, घर का खर्च चलाओ, पैसे खत्म फिर ज्यादा मेहनत करो और ये जो विशेष सर्किल है ये चलता रहता है और इसी सर्कल में हम गोल गोल घूमते रहते है। अगर हमारे पास ज्यादा पैसे आ भी जाए तो भी हमें इस विशेष सर्किल में घूमने की आदत पड़ जाती है। हमारा डर और लालच पर काबू पाना सीखना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर हम अमीर बन भी गए तो इन आदतों की वजह से हम हमेशा डर के साए में रहेंगे और अपनी जिंदगी को एन्जॉय नहीं कर पाएंगे। पहले के जमाने में शिक्षा एक जरिया थी लोगों की पर्सनालिटी डेवलप करने का और आसपास के हर विषय में उन्हें जानकारी देने का पर वक्त के साथ साथ पढ़ाई का लक्ष्य उसका गोल बदल गया। पढ़ाई का मकसद रह गया बड़े हो कर अपनी जीविका चलाना, ब्रेड बटर कमाना। और इसमें कुछ गलत भी नहीं वक्त के साथ चीजें बदलना बहुत जरूरी है क्योंकि जो चीज़ वक्त के साथ नहीं बदलतीं वो या तो हमारी खुशियां छीन लेती है या फिर समाज को बहुत ही पीछे ले जाती है। Robert Toru Kiyosaki  ने इस बहुत ही अहम मुदे  को यहाँ पर उठाया है अपने बुक Rich Dad Poor Dad  में। क्या खूब कहा है कि बचपन से ही अगर बच्चे को हम money as a subject पढ़ाना शुरू करें। उन्हें ये समझाना शुरू करें कि पैसे को कैसे मैनेज किया जाए तो बड़े होने पर बच्चों की बहुत सारी प्रॉब्लम्स अपने आप साल्व हो जाएगी बच्चा खुद उन्हें सॉल्व करने की क्षमता रखेगा।

पर कहीं ना कहीं Robert Toru Kiyosaki ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि पैसे को रिश्तों के ऊपर ना रखा जाए। तभी तो उन्होंने इस विषय को रिश्तों के माध्यम से ही समझाने की कोशिश की है। Robert Toru Kiyosaki  के पहले जो डैडी थे वो हमेशा ये कहते थे कि मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ। वही जो उसके दूसरे डैडी थे वो कहते थे कि मैं इसे क्यूँ नहीं खरीद सकता हूँ?  दोनों की सोच में अंतर था। दोनों के शब्दों में अंतर था। यानी कि जिसे हम जिंदगी में पाना चाहते हैं, जिसे संभालना चाहते हैं, जैसे कि पैसा तो उसके बारे में अगर बचपन से जाना जाए तो क्या ये सही नहीं होगा? आज जिस तरह से पढ़ाई की जाती है। बच्चा ग्रैजुएट होकर सोचता है कि अब मैं कौन सी नौकरी करूँगा। क्या ये सही नहीं है कि थोड़ा और पहले से बच्चे को? इस विषय के बारे में और अच्छे से और डीप्ली पढ़ाया जाए समझाया जाए। ये तो वही बात हो गयी जाना था जापान पहुँच गए चीन यानी कमाना था पैसे  पर जब तक इसकी समझ आयी तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यानी की हमे सबसे पहले ये समझने की जरूरत है कि हम खुद एक्सेप्ट करे कि हम इसे कैसे पा सकते हैं, इसे कैसे संभाल सकते हैं और वही सही शिक्षा हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी दे सकते हैं।

किसकी सुने किसको चुने

अगर दिल्ली जाना है। तो टिकट भी दिल्ली का ही लेना पड़ेगा। यह कितना सच है ना? की अगर हमें किसी मंजिल की ओर बढ़ना है तो हमें उसी दिशा की ओर रास्ता तय करना पड़ेगा। सफर करना पड़ेगा, मुश्किलों से जूझना पड़ेगा और तब कहीं जाकर उस मंजिल को हम पा सकते हैं। धन संबंधी जो शिक्षा है, उसके बारे में भी कुछ ऐसा ही है। धन कमाना एक अलग बात है पर उस धन को सही ढंग से संभालना एक अलग कला है। पैसा एक तरह की ताकत है पर इससे भी बड़ी ताकत है उसे संभालकर रखने की समझ। पैसा तो आता जाता रहता है पर अगर आप ये जानते हैं कि पैसा किस तरह से काम करता है तो आप ज्यादा ताकतवर हो जाते हैं। और आप दौलत कमाना शुरू भी कर देते हैं।

देखिये, केवल सकारात्मक सोच से ही समस्या हल नहीं होती। हाँ ये जरूर है कि सकारात्मक सोच आपको उस दिशा की ओर बढ़ने की हिम्मत देती है। देखिये ना ज्यादातर लोग स्कूल में पढ़ते हैं और वहाँ पर वो कभी ये नहीं सीख पाते की पैसा काम किस तरह से करता है। इसलिए वो पैसे के लिए काम करने में अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। Robert Toru Kiyosaki कहते है की उनकी ये पैसे से जुड़ी हुई शिक्षा, वित्तीय शिक्षा जब वह केवल 9 साल के थे तभी शुरू हो गई थी। पर सबसे जरूरी बात यह थी कि उन्होंने जो पहला कदम उठाया था, ये निर्णय लिया था कि उन्हें किस की बात सुननी है अपने पुअर डैड की, जो कि बहुत ही पढ़े लिखे हैं पर पैसे को  अहमियत नहीं देते। या फिर रिच डैड की बात, जो कि उन्हें उतना ही प्यार करते थे जितना कि उनके पुअर डैड पर उन्होंने पैसे को कभी छोटा नहीं समझा और क्यों कि Robert Toru Kiyosaki सिर्फ 9 साल के थे तो उनके रिच डैड ने बहुत ही आसान शब्दों में उन्हें वो लेसन्स पढ़ाए पैसों के बारे में वो लेसन्स सिखाए।

जी हाँ, हम किस से सीख रहे हैं, किसकी बात मान रहे हैं और किसे अपना मार्गदर्शक चुन रहे हैं, यह बहुत जरूरी है क्योंकि जो हमें गाइड कर रहा है अगर उसका नजरिया ही अलग है तो वो आपको सही मंजिल की ओर नहीं पहुंचा पाएगा। Robert Toru Kiyosaki के दोनों ही डैड, रिच डैड और पुअर डैड उन्हें उतना ही प्यार करते थे। पर सिर्फ नज़रिए की वजह से Robert Toru Kiyosaki ने अपने रिच डैड की बात सुनना प्रिफर किया। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि जब तक उनके रिच डैड  रहे, उन्होंने पूरे लाइफ में सिर्फ 6 ही लेसन उन्हें सिखाए और ये 6 lessons उन्होंने अपनी बुक Rich Dad Poor Dad में लिखे है, जो कि बच्चा भी समझ सकता है।

  1. सबक नंबर एक-अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते।
  2. सब एक नंबर दो -पैसे की समझ क्यों सिखाई जानी चाहिए?
  3. सबक नंबर तीन- अपने काम पर ध्यान दो और अपने काम से काम रखो
  4.  सबक नंबर चार-टैक्स क्या है उसे समझो और कॉर्पोरेशन की ताकत
  5. सबक नम्बर पांच- अमीर लोगों को पैसे को जन्म देते हैं।
  6. सबक नम्बर छेह पैसे कमाने के लिए काम ना करें सीखने के लिए काम करें। 

अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते।

अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर अमीर और अमीर कैसे होता जाता है? Robert Toru Kiyosaki एक कहानी का ज़िक्र करते हैं। कहते है की जब वो छोटे थे तो उन्होंने अपने डैडी से पूछा कि डैडी क्या आप बता सकते हैं कि अमीर कैसे बना जाए? यह सुनकर उनके पुअर डैडी जो कि एक स्कूल में पढ़ाते थे, उन्होंने कहा की बेटा तुम अमीर क्यों बनना चाहते हो? Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि कुछ बच्चों ने और उनके पैरेंट्स ने उन्हें गरीब कहा। यह सुनकर उनके पुअर डैड सोच में पड़ जाते हैं। और फिर उसके बाद उनसे कहते हैं, देखो, अगर तुम अमीर बनना चाहते हो तो तुम्हें पैसे बनाना सीखना चाहिए। इस पर Robert Toru Kiyosaki ने अपने डैड से पूछा मैं पैसे बनाना किस तरह से सीख सकता हूँ? तो डैड ने जवाब दिया अपने दिमाग से। और उसके बाद। वो अपना चश्मा पहनकर अपना अखबार पढ़ने लग गए जिसका मतलब ये था की अब इससे ज्यादा मुझे और कोई सवाल मत पूछना क्योंकि मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता।

इस बात को Robert Toru Kiyosaki पूरी रात सोचते रहे और अगली सुबह अपने सबसे अच्छे और करीबी दोस्त माइक को अपनी बात बताई। उन्होंने माइक से पूछा कि क्या वो ये पैसे बनाने वाले काम में उनके बिज़नेस पार्टनर बनेंगे? माइक ने उससे पूछा, ठीक है, मैं तुम्हारे साथ हूँ पर तुम पैसा कैसे कमाओगे और हमें क्या करना चाहिए? इस पर Kiyosaki उन्हें ठीक वही जवाब देते है जो उनके पिता ने उन्हें दिया था, बता दिया की मुझे नहीं पता, लेकिन फिर भी क्या तुम इस काम में मेरे पार्टनर बनना चाहते हो? और फिर दोनों दोस्तों ने एक दूसरे का साथ दिया। बिज़नेस पार्टनरशिप पक्की हो गई। कुछ दिन बीते दिमाग दौड़ाया गया और आखिरकार उनका स्कूल जाना सफल रहा। स्कूल की क्लास में उन्होंने कुछ ऐसा पड़ा था जिसे सोचकर Kiyosaki को लगा कि बस पैसा बनाने का फॉर्मूला तो मिल गया और बस उसी आइडिया को फॉलो करते करते Kiyosaki और माइक ने ढेर सारा कच्चा माल इकट्ठा कर लिया। बहुत मेहनत की। और अपने डैड की गैराज में उन्होंने कुछ सिक्के बनाए और जब उनके डैड ने उन्हें देखा तो उन्होंने पूछा कि तुम क्या कर रहे हो? तब Kiyosaki का जवाब था जैसा आपने कहा था? पैसे बना रहे है। तब उनकी जो पुअर डैड थे उन्होंने Kiyosaki को कहा कि आओ मुझे तुमसे बात करनी है Kiyosaki और Mike। वहाँ सीढ़ियों पर बैठ गए, साथ में Kiyosaki के डैड और माइक के डैड, जो कि रिच थे वो भी बैठ गए यहाँ पे मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इस पूरी कहानी में जो Robert Toru Kiyosaki ने अपने रिच डैड को रेफर किया है, वो दरअसल माइक के पिता थे। और फिर बच्चों की इस हरकत को देखकर Kiyosaki के पुअर डैड ने अपनी बात को और डिटेल में समझाया और अपनी बात को करेक्ट किया।

पहली बार उन्होंने बच्चों को बताया कि गैर कानूनी क्या होता है? बच्चों को लगा कि जो उन्होंने किया वो सही था पर जब उन्होंने जाना की ये अलाउड नहीं है। सिक्के छापना अलाउड नहीं है। उसके पीछे कई तरीके होते है कानूनी, गैरकानूनी। ये सब बातें जब बच्चों ने समझी तो उनका मुँह उतर गया। फिर उन्होंने पूछा तो फिर हम अमीर कैसे बन सकते हैं? तब Kiyosaki के डैड ने उनसे कहा कि अगर तुम्हें सच में अमीर बनना है, रिच बनना है। मुझसे नहीं माइक के डैड से पूछो Kiyosaki ने अपने डैड से कहा, पर आप क्यों नहीं बता सकते? हम गरीब क्यों है Kiyosaki के पुअर डैड ने कहा, क्योंकि मैं एक टीचर हूँ और मैंने पैसे कमाने की राह नहीं चुनी है। पैसे कमाने के लिए तुम्हें माइक के डैड से ही पूछना पड़ेगा। क्या खूबसूरत बात समझाई है Kiyosaki ने कि अगर हमें कोई पर्टिकुलर गोल अचीव करना है, कोई लक्ष्य प्राप्त करना है तो हमे रास्ता भी सही चुनना होगा। मार्गदर्शक भी सही चुनना होगा। कहते हैं कि सफल होने के लिए मेहनत करना बहुत ज़रूरी है। मेहनत तो एक मजदूर भी करता है पर सफलता पाने के लिए success पाने के लिए सही दिशा में सही योजना  के साथ मेहनत करने से ही सक्सेस हासिल होती है। 

जल्दी निर्णय लेना सीखो

अमीर बनना है तो कम समय में निर्णय लेना आना चाहिए ! Robert Toru Kiyosaki के पुअर डैड ने उन्हें कहा कि। ये उन्हें उनके फ्रेन्ड mike के डैड से पूछना चाहिए कि पैसे कैसे कमाए जाते हैं, सक्सेसफुल कैसे हुआ जाता है? Robert Toru Kiyosaki ने और उनके फ्रेन्ड माइक ने ये डिसाइड किया की वो अपने रिच डैड से ये बात जरूर पूछेंगे कि अमीर कैसे बना जाए, पैसे कैसे बनाया जाए? Kiyosaki ने अपने रिच डैड से पूछा। की क्या वो उन्हें पैसा बनाना सिखाएंगे? इस पर उनके रिच डैड ने एक शर्त रखी। और शर्त यह थी कि वो बच्चे उनके साथ काम करते हुए सीखेंगे ना कि क्लास में बैठकर लेक्चर सुनते हुए। उन्होंने कहा कि मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं तुम्हें क्लास में बैठकर पढ़ाऊ और जिसका तुम कोई प्रैक्टिकल इस्तेमाल ना कर सको। इस बात को सुनकर Robert Toru Kiyosaki और माइक थोड़ा सा कन्फ्यूज़ हो गए। वो समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें हाँ कहना चाहिए या नहीं। उन बच्चों की कन्फ्यूजन देखकर उनके डैड ने उनसे कहा। अगर ज़िन्दगी में सक्सेस पाना चाहते हो, सफल होना चाहते हो तो कम समय लेकर डिसाइड करना सीखो। जल्द से जल्द डिसीजन लेना सीखो। उन्होंने जल्दबाजी करने को नहीं कहाँ? पर हाँ, जितना कम समय हो सके उतने कम समय में सही निर्णय लेने की कला जीसको आती है। वो जिंदगी में हमेशा आगे जाता है।

यही उनकी सीख थी और फिर बच्चों ने डिसाइड किया की वो खेल छोड़कर सीखने का विकल्प चुनेंगे, काम करने का विकल्प चुनेंगे ताकि उन्हें ये समझ में आ सकें कि पैसे कैसे कमाए जा सकते हैं। बस फिर क्या था बच्चे अगले ही दिन अपने रिच डैड के पास पहुँच गए। उनके रिच डैड ने उन बच्चों को एक शॉप पर सफाई का काम दिया। अब क्योंकि उस वक्त ए सी (औटोमेटिक कूलर ) और इस तरह की  चीजें ज्यादा चलन में नहीं थी तो दरवाजे  खुले ही रहते थे, जिसकी वजह से सामान पर धूल जमी रहती थी और इस काम के उन्हें 30 सेन्ट मिलते थे। इस तरह से उन्हें पैसे नहीं बचते थे। वो परेशान रहते थे और 1 दिन उन्होंने माइक से कहा कि मैं अब काम नहीं करूँगा। या तो मेरी तनख्वाह बढ़ाई जाए या फिर मैं काम छोड़ रहा हूँ। उसके बाद 9 साल के Robert Toru Kiyosaki और उनका दोस्त माइक उनके रिच डैड से मिलने पहुंचे। रिच डैड के सामने बैठते ही माइक बुरी तरह से रो पड़े और उन्होंने कहा। डैड, आपने कहा था कि अगर मैं आपके लिए काम करूँगा तो आप मुझे पैसा कमाना सिखाएंगे। अपनी तरफ से मैंने पूरी तरह से पूरी इमानदारी से काम किया है, कड़ी मेहनत की है। इस काम के लिए मैंने अपनी खेल तक की कुर्बानी दे दी और अब आप। अपने वादे से मुकर रहे हैं।

आपने मुझे कुछ भी नहीं सिखाया। लोग आपको लालची कहते हैं, जो सिर्फ पैसे कमाना चाहता है पर अपने साथ काम करने वालों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखता। मैं एक छोटा सा बच्चा हूँ और आपको मेरे साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए था। Robert Toru Kiyosaki के डैड ने कहा पर मैं तुम्हें काम सीखा रहा हूँ। Kiyosaki कहते है की उस वक्त वो गुस्से में थे तो उन्होंने पूछा नहीं आप मुझे कुछ नहीं सीखा रहे बताइए आपने मुझे क्या सिखाया? कुछ भी नहीं। आप से सीखने के लिए मैं बस चंद सिक्कों में काम करने के लिए तैयार हो गया और उसके बाद तो आपने मुझसे बात तक नहीं की मैं आपकी शिकायत सरकार से करूँगा। हमारे देश में भी बाल श्रम कानून है आप तो जानते ही हैं। मेरे पुअर डैड सरकार के लिए काम करते हैं। इस बात को सुनकर उनके रिच डैड  ने कहा शाबाश अब तुम उन लोगों की तरह बोल रहे हो जो कभी मेरे लिए काम करते थे। या तो मैंने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। या फिर उन्होंने खुद ही नौकरी छोड़ दी? रही बात तुम्हें कुछ सिखाने की। कौन कहता है कि मैंने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया? पिछले दिनों जितना तुमने काम किया, ज़रा सोचकर देखो। क्या सिखाने का मतलब केवल भाषण देना या बातचीत करना ही होता है। इस तरह से तो तुम्हे स्कूल में सिखाया जाता है पर जिंदगी में जिंदगी में कोई तुम्हें भाषण देकर या बातचीत करके नहीं सिखाएगा। तुम्हें उस दौर से गुजरना पड़ेगा कठिनाइयों से जूझना पड़ेगा अपना रास्ता खुद ढूंढना पड़ेगा। और फिर ज़िन्दगी तुम्हें सबक सिखाएगी तुम्हें और बेहतर इंसान बनाएगी।

सच ही तो है ज़िंदगी के तमाम मोड़ आते हैं, ऐसे मकाम आते हैं जिनपर हमें धक्का लगता है ठोकरे कहीं लगती। हम उस वक्त परेशान होते हैं की हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? पर अगर ध्यान से देखा जाए तो जिंदगी उस झटके के जरिये हमें कह रही होती है की जाग जाओ, मैं तुम्हें कुछ सिखाना चाहती हूँ पर 9 साल के Robert Toru Kiyosaki को ये बड़ी बड़ी बातें समझ नहीं आई। तब उनके रिच डैड ने एक बार फिर से कहना शुरू किया।

अगर जिंदगी तुम्हें कोई सबक सिखाएं तो तुम्हें उससे सीखना चाहिए क्योंकि। अगर तुम उससे वो सबक नहीं सीखते तो पूरी जिंदगी तुम्हारी ये जिंदगी लगातार तुम्हें धक्का देती रहेंगी। अपनी जॉब में रहते हुए तुम अगर उसकी मुसीबतों से सबक लोगे, सीखोगे तो तुम एक समझदार, अमीर और सुखी इंसान बन सकते हो, पर अगर तुम यह नहीं सीखते तो जिंदगी भर। अपनी प्रॉब्लम्स के लिए अपनी नौकरी कम सैलरी या फिर अपने बॉस को कोसते रहेंगे और हमेशा उम्मीद करते रहोगे की कोई और आये, तुम्हारी सैलरी बढ़ाए और तुम्हें सुख दे जो की पॉसिबल नहीं है।

दूसरों को बदलने से आसान है खुद को बदलना

किसी दूसरे को बदलने से ज्यादा अच्छा और आसान खुद को बदलना। तो रिच डैड ने उन्हें 10 सेंट हर घंटे की जॉब पर रखा 10 सेंट बहुत ही कम होते हैं। Robert Toru Kiyosaki  ने वो जॉब छोड़ दी और अपने रिच डैड के पास गए और गुस्से में उनसे कहा कि मैं इतने कम पैसे पर काम नहीं कर सकता। ये बात सुनकर उनके रिच डैड ने कहा। मुझे खुशी है कि तुम 10 सेट पर काम करने के लिए असंतुष्ट हो। अगर तुम गुस्सा होकर मेरे पास नहीं आते तो मैं कभी भी तुम्हें पैसा बनाने की कला नहीं सीखाता। इस बात से यह साबित होता है कि तुम पैसा कमाना सीखना चाहते हो। Robert Toru Kiyosaki, अपने डैड की बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे। उनके डैड ने कहना जारी रखा, तुम्हें पता है कि गरीबी पैसों की नहीं, मन की होती है। इंसान पूरी जिंदगी डरते डरते सिर्फ पैसे के लिए ही काम करता रहता है। मैं कभी नहीं कहूंगा कि तुम पैसे के लिए काम करो। तुम्हें ऐसा काम करना चाहिए कि तुम्हारा पैसा तुम्हारे लिए काम करे। लोग कहते हैं कि मैं समस्या की जड़ हूँ, मैं उन्हें कम पैसे देता हूँ।

पर सच तो यह है कि लोग उसी वेतन में काम करते रहना चाहते हैं। वो अपने आप से नहीं पूछते कि वो क्यों इतने कम पैसे में काम कर रहे हैं पर अगर वो लोग या तुम इसी तरीके से सोचते रहे कि समस्या की जड़ में हूँ तो ज़िन्दगी भर ना वो लोग कुछ सीख पाएंगे ना तुम कुछ सीख पाओगे। आसान क्या है? मुझे बदलना या फिर खुद को बदलना और अपने आप को इस लायक बनाना की आप उससे अच्छा काम सीख पाए अगर। तुम पैसे के लिए काम करना सीखना चाहते हो तो स्कूल में ही रहो। ये सीखने के लिए उससे बढ़िया जगह कोई और है नहीं, परन्तु अगर तुम यह सीखना चाहते हो की पैसा तुम्हारे लिए किस तरह से काम करे तो मैं तुम्हारा रिच डैड तुम्हें ये सीखा सकता हूँ पर ये तभी संभव होगा तभी पॉसिबल होगा जब ये तुम खुद सीखना चाहते हो। तो तुम सीखने के लिए तैयार हो। Robert Toru Kiyosaki  ने हाँ में सर हिलाया। और फिर रिच डैड ने कहना शुरू किया। देखो बच्चे जैसे मैंने कहा सीखने के लिए बहुत कुछ है। पैसे से अपने लिए काम कैसे करवाया जाए? ये जिंदगी भर चलने वाली पढ़ाई है। मैं पहले से ही जानता हूँ कि मेरी धन संबंधी पढ़ाई जीवन भर चलेगी और इसकी वजह यह है कि मैं जितना ज्यादा जान लेता हूँ उससे भी ज्यादा जानने की मेरी इच्छा बढ़ती चली जाती है। बहुत ही कम लोगों को इस बात का एहसास होता है कि असली समस्या पैसे की नहीं। असली समस्या असली प्रॉब्लम नॉलेज की है सोच की। तो क्या तुम्हारे अंदर सीखने की उतनी ही इच्छा है जितना पहले थी? इस पर Robert Toru Kiyosaki ने कहा, हाँ, बिल्कुल, मैं दूसरे लोगों की तरह थोड़े हूँ, मैं सीखना चाहता हूँ।

तब रिच डैड ने कहना शुरू किया ठीक है तो कल से तुम फिर वापस काम पर जाओ, पर इस बार मैं तुम्हें कोई तनख्वाह नहीं दूंगा। तुम्हारी तनख्वाह बंद तुम हर शनिवार 3 घंटे उसी तरह काम करोगे लेकिन इस बार तुम्हें 10 सेंट प्रति घंटे के हिसाब से सैलरी नहीं मिलेगी, तुम्ही ने तो कहा है कि तुम पैसे के लिए काम करना नहीं सीखना चाहते, इसलिए मैं तुम्हें बदले में कुछ भी नहीं दूंगा। अपने रिच डैड की बात सुनकर Robert Toru Kiyosaki  बहुत ही कन्फ्यूज़ हो गए। उन्हें समझ ही नहीं आया कि वो आखिर क्या करें? और अगले तीन हफ्ते तक Robert Toru Kiyosaki अपने दोस्त माइक के साथ हर शनिवार को मुफ्त में काम करते रहे। काम बहुत परेशानी वाला नहीं था। और समय गुज़रने के साथ साथ ये आसान भी होता गया, पर उन्हें अफसोस था तो अपने छूटे हुए बेसबॉल गेम्स और कॉमिक्स का। क्योंकि वो अब उसका मज़ा नहीं ले सकते थे और साथ ही उन्हें कुछ पैसे भी नहीं मिल रहे थे। तीसरे हफ्ते दोपहर में Kiyosaki के रिच डैड उनकी शॉप पर आए जहाँ पर वो बच्चे काम करते थे और उन्हें कहाँ की? क्या तुम जिंदगी भर जो मेरे बाकी एमपलोएज है उनकी तरह ही काम करना चाहते हो, डरते रहना चाहते हो?

मुझे लगता है कि मुझे तुम्हारी सैलरी बढ़ा देनी चाहिए। 25 सेंट्स प्रति घंटा ये सुनकर वो दोनों मन ही मन खुश हो गए पर उन्होंने सामने कुछ नहीं कहा। वो चुप रहे। रिच डैड ने थोड़ी देर देखा और कहा कि चलो अच्छा तुम इतने में खुश नहीं हो मैं तुम्हारी सैलरी $1 प्रति घंटा कर देता हूँ। $1 प्रति घंटा उस समय के हिसाब से कह सकते हैं कि देश का सबसे अमीर बच्चा भी जो होगा वो भी नहीं कमाता होगा। वो थोड़ी देर चुप रहे और फिर उन्होंने कहा कि अच्छा चलो ठीक है, मैं तुम्हारी सैलरी। $5 प्रति घंटा कर देता हूँ ये सैलरी सुनकर उनका मन बार बार कह रहा था की मान लो मान लो इससे क्या नहीं खरीदा जा सकता है, ढेर सारी कॉमिक्स, साइकल्स वगैरह वगैरह। पर वो चुप रहे। उन बच्चों को चुप देख उनके रिच डैड ने कहा, मुझे अच्छा लगा कि तुम लोगों ने लालच नहीं किया, जल्दबाजी नहीं दिखाई और मैं देख सकता हूँ कि तुम अगर इसी तरह मन लगाकर सीखते रहें तो फ्यूचर में पैसे से जुड़ी किसी भी बात के लिए तुम जल्दबाजी में डिसीजन नहीं लोगे।

सच्चा अमीर कौन है

जब किसी के पास पैसा आता है। तो अपने साथ डर और लालच भी लेकर आता है। Robert Toru Kiyosaki  के रिच डैड उन्हें पैसे के बारे में, उसकी अहमियत के बारे में और साथ में आने वाले डर और लालच के बारे में समझाते हुए कहते हैं की। कुछ और पाने की इच्छा को बेहतर पाने की इच्छा को लोग लालच कहते हैं पर मेरे लिए ये इच्छा ही है और इसमें कोई बुराइ भी नहीं। पर यकीन मानो अगर मैं तुम्हें $5 भी दूँ तो भी तुम्हारी समस्या नहीं सुलझेगी। तुम अमीर नहीं बन पाओगे।

अपने रिच डैड की बात सुनकर Robert Toru Kiyosaki  ने पूछा। ऐसा क्यों? अगर मैं इतनी सैलरी उठाऊंगा उसके बाद भी मैं अमीर क्यों नहीं बन पाऊंगा? तब रिच डैड  ने कहा। क्योंकि अमीरी मन से होती है, सोच से होती है, पैसे से नहीं। पैसा आज है, कल जा भी सकता है पर जो इंसान सोच से अमीर है, जो यह जानता है कि पैसे को कैसे संभाला  जाए, पैसे को कैसे कमाया जाए, पैसे को कैसे बनाया जाए, वो कभी भी गरीब नहीं हो सकता। इस पर Robert Toru Kiyosaki  ने पूछा, तो क्या हमें पैसे से दूर रहना चाहिए? उसके पीछे भागना नहीं चाहिए। इस पर रिच डैड ने जवाब दिया। देखो, पैसे से दूर रहना भी उतना ही बड़ा पागलपन है जितना कि उसके पीछे भागना। मुसीबत की घड़ी में या पैसे ना होने की घड़ी में गरीबी की हालत में ज़्यादातर लोग ये नहीं जानते कि वो अपने दिमाग से सोचते हैं या अपने दिल से आपकी भावनाए तो आपकी रहेंगी पर मुसीबत के वक्त दिल से नहीं। दिमाग से सोचना भी आना चाहिए अक्सर लोग जब नौकरियां छोड़ते हैं, अक्सर लोग जब अपने बॉस की बुराइ करते हैं, अक्सर लोग जब अपनी मुसीबतों के पहाड़ की बात करते हैं। तो वो अपने दिल से सोच रहे होते हैं क्योंकि जो दिमाग से सोचता है वो हमेशा अपनी तरक्की के बारे में सोचता है।

वो इस डर से नहीं सोचता कि उसकी नौकरी चली जाएगी। तुम्हें दिल के हाथों मजबूर होकर डर के हाथों मजबूर होकर पैसे का गुलाम नहीं बनना है। मैं चाहता हूँ कि तुम दिमाग से सोचो। और पैसे को अपना गुलाम बनाओ। ताकि वो पैसा तुम्हारे लिए काम करें। क्योंकि इस दुनिया में सच्चा अमीर वही है जो पैसे के पीछे न भागें, जो खुद पैसे के लिए काम ना करें बल्कि उसका पैसा उसके लिए 24 घंटे काम करता रहे।

 महंगाई क्यूँ ओर कैसे

credit card

बढ़ती हुई महंगाई और घटती हुई कमाई को देखकर मुझे आधार कार्ड की नहीं बल्कि उधार कार्ड की जरूरत महसूस हो रही है सच में Robert Toru Kiyosaki की ये बुक तब भी उतनी ही प्रासंगिक थीं, उतनी ही रिलेवेंट थी जितनी कि आज।  महंगाई हमेशा बढ़ती आई है। चीजें। महंगी होती आई है। दाम बढ़ते आए है उसके पीछे का कारण उसके पीछे की सोच क्या है? और ये मंगाई है क्या? कैसे बढ़ती है इसके बारे में? Robert Toru Kiyosaki के रिच डैड बहुत अच्छे से समझाते हैं। वो कहते है की जितना ज्यादा हम पैसे कमाते हैं उतना ही ज्यादा उसके खोने का डर हमारे अंदर बढ़ता जाता है। पैसे के साथ जो डर आता है पैसे के साथ जो लालच आता है वही हमें पैसे के। पीछे भगाता है और हमें पैसे का गुलाम बनाता है। हमे ये समझने की जरूरत है कि इस लाइफ की जरूरतों में हम सब बंधे हुए हैं। हम सब अपने परिवार को चलाने के लिए अपनी डेली नीड्स पूरी करने के लिए अपने शौक पूरे करने के लिए दिन ब दिन पैसे के पीछे भागते रहते हैं। धीरे धीरे ज्यादा पैसा कमाने की इच्छा करते रहते। पैसा कमाना गलत नहीं है। पर पैसे कमाने के पीछे की नीयत उसका सही होना जरूरी है और वो नीयत ही है जो इस समाज में महंगाई बढ़ाती है और वो नीयत ही है जो इस समाज में डिस्बैलेंस पैदा करती है। एक छोटे से एग्ज़ैम्पल्स इस बात को समझा जा सकता है कि एक डॉक्टर जो अपने परिवार को ज्यादा खुशी देना चाहता हैं, अपनी फीस बढ़ा देता है, उसकी फीस बढ़ने की वजह से सारी मेडिकल फैसिलिटीज, स्वास्थ्य सुविधाएं सब महंगी हो जाती है। अब इसेसे गरीब लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है, इसलिए गरीब लोगों का स्वास्थ्य। अमीर लोगों से ज्यादा बुरा होने लगता है। अब क्योंकि डॉक्टर्स ने अपनी फीस बढ़ा दी है इसलिए लॉयर्स ने भी अपनी फीस बढ़ा दी। लॉयर्स ने अपनी फीस बढ़ा दी तो स्कूल टीचर भी अपनी तनखाह बढ़ाना चाहते हैं और यह सिलसिला बस यूं ही चलता रहता है तो जल्द ही अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जाता है और इतना बड़ा अंतर दोनों के बीच आ जाता है की सोशल डिसबैलेंस ज्यादा हो जाता है।रिच डैड की बात सुनकर Robert Toru Kiyosaki ने उनसे पूछा, डैड, क्या कीमतें बढ़नी नहीं चाहिए? इस पर रिच डैड ने जवाब दिया। अच्छी तरह से चल रही सरकार और एक शिक्षित समाज में तो नहीं बढ़नी चाहिए, कीमतें दरअसल कम होनी चाहिए। ज़ाहिर है कि ऐसा केवल सिद्धांतों में ही होता हैं। आईडली ऐसा होना चाहिए पर प्रक्टिकली ऐसा नहीं होता।

कीमतें अज्ञान से पैदा हुए लालच और डर के कारण होती है। जैसा कि मैंने तुम्हें बताया, अगर स्कूल में मनी के बारे में पैसों के बारे में सिखाया जाता तो लोगों के पास ज़्यादा पैसा होता है और बाजार की कीमतें भी कम होती। ये सब कुछ इंटररिलेटेड एक दूसरे से जुड़ा हुआ। पर हमारी सोसाइटी में सिर्फ पैसे के लिए काम करना सिखाया जाता है। पैसे की ताकत का इस्तेमाल करना नहीं सिखाया जाता है। और इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि पैसे से जुड़े ऐसे किसी भी मुददे पर दिमाग से सोचने की जरूरत है। इसके आगे Robert Toru Kiyosaki अपने डैड से पूछते हैं डैड बहुत देर से आप कह रहे हैं कि दिल से मत सोचो, दिमाग से सोचो, आखिर दिल से सोचने और दिमाग से सोचने में फर्क क्या है? इस पर रिच डैड उन्हें समझाते हैं देखो मैं ये बात अक्सर सुनता हूँ कि हर आदमी को काम करना पड़ता है या फिर अमीर लोग दूसरों के पैसे मार लेते हैं और मेरी सैलरी बढ़नी चाहिए। मैं इस काम से खुश नहीं हूँ और दूसरी जगह जॉब ढूंढ लूँगा वगैरह वगैरह। पर अगर हम ध्यान से देखें तो ये सारी बातें। भावनाओं में बह कर कही गई है। ये सारी बातें इमोशनल होकर कही गई है और अक्सर भावनाओं में बहकर हम जो भी डिसीजन लेते हैं वो सिर्फ हमें नुकसान पहुंचाता है। तो बात समझो जब भी कोई डिसीजन लो, दिमाग से लो जल्दबाजी मत करो पर जल्दी करो। बस इसी तरह से मन लगाकर काम करते रहो। तुम्हारा जो दिमाग है वो तुम्हें जल्द से जल्द कुछ ना कुछ ऐसे सही तरीके बता ही देगा जिससे तुम ज़्यादा कमा पाओगे। ऐसी चीजें देख पाओगे जो दूसरे लोग नहीं देख पाते। मौका उनकी नाक के नीचे होता है, अवसर उनके पास होता है, सामने होता है पर वो उसे पहचान नहीं पाते। पर अगर तुम दिमाग से काम लोगे तो तुम उन्हें पहचान पाओगे, उन मौकों का फायदा उठा पाओगे और जिंदगी में आगे बढ़ पाओगे।

बैलेन्स शीट सही तो लीजिए रिटायरमेंट के मजे

balance sheet

पैसा आये तो मुसीबत ना आये तो मुसीबत इसलिए पैसे को समझना बहुत जरूरी है। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि वो और उनका दोस्त माइक अब बड़े हो चूके थे और माइक ने अपने डैडी का बहुत बड़ा सा कारोबार संभाल लिया था और बहुत Successful भी था और अब माइक अपने बेटे को ठीक वैसे ही सीखा रहा था जैसे की उसके डैड ने यानी की Robert Toru Kiyosaki के रिच  डैड ने उन दोनों को सिखाया था। Kiyosaki की कहते हैं कि जब वो 47 साल के हुए तो उन्होंने डिसाइड किया कि अब उन्हें रिटायर हो जाना चाहिए।

रिटायरमेंट का ये मतलब नहीं होता की काम नहीं किया जाएगा या आगे काम नहीं करना चाहते, वगैरह वगैरह। रिटायरमेंट का मतलब ये होता है कि अब आप इस लायक हो गए हैं कि आपका पैसा आपके लिए काम करें। रिटायरमेंट का सही मतलब यही है की आपने पूरी जिंदगी जो मेहनत करके जो स्ट्रैटिजी बनाकर सही जगह निवेश करके जो पैसा लगाया था, अब आपकी वो ये जा चुकी है कि अब आप उस पैसे को एन्जॉय करें क्योंकि आपका पैसा अब आपके लिए काम करना शुरू कर चुका है। कुछ लोग पूरी जिंदगी काम करते रहते हैं। रिटायर नहीं हो पाते पूरी जिंदगी काम करना गलत नहीं है। पर ये डिफरेंस समझना बहुत जरूरी है कि पैसे की जरूरत की वजह से पूरी जिंदगी काम कर रहे हैं, उसका गुलाम बनकर काम कर रहे हैं या फिर उसका मालिक बन के और अपने काम को एन्जॉय करके पूरी जिंदगी काम कर रहे हैं रिटायरमेंट को दूसरे शब्दों में चिंताओं से आज़ादी भी कह सकते हैं। इसका मतलब यह है पैसा अगर सही तरह से खर्च किया जाए। पैसे को अगर सही तरह से मैनेज किया जाए तो वो अपने आप बढ़ता रहता है। ये ठीक एक एक पेड़ लगाने की तरह है कि आप सालों तक इसे पानी देते हैं। जब आप अपने बिज़नेस में होते हैं, अपनी जॉब में होते हैं और कभी भी इसमें कोताही नहीं करते। जब भी उस पेड़ को जरूरत होती है आप उसकी सेवा करते हैं। और फिर जब वो पेड़ बड़ा हो जाता है, जमीन की गहराइयों में उसकी जड़ें पहुँच जाती है, फिर वो अपने आप आपको छाया और फल देता है और फिर आपको उसके लिए काम करने की जरूरत नहीं पड़ती।

retrierd person

पैसा भी कुछ कुछ उस पेड़ की तरह है। अगर इस बात को एक दूसरे एग्ज़ैम्पल से समझें तो। हमें जैसा गोल बनाना है उसके लिए हमें प्रिपरेशन भी वैसे ही करनी पड़ेगी। अगर बहुत ऊंची बिल्डिंग बनानी है तो हमें उसकी नींव बहुत गहरी खोदनी पड़ेगी। और अगर हम ये सिर्फ छोटा सा घर बनाना है तो उसकी नींव छोटी होगी  पर प्रॉब्लम यही होती है। हम छोटी सी नींव खोदकर बहुत बड़ी सी बिल्डिंग बनाने की कोशिश करते हैं जो कि बाद में ढह जाती। तो जरूरी क्या हैं? पैसे को समझना, पैसे को सम्भालना। पैसे को संभालने के लिए उसे समझा कैसे जाए? इसके लिए सबसे जरूरी बात है liabilities और Assets के बीच फर्क को समझा जाए और एसेट्स को खरीदा जाए और liabilities में पैसे न डाले जाए। सुनने में बहुत ही आसान लगता है। लेकिन सच यही है की ये आपको अमीर बनने में बहुत मदद करेगा लेकिन अगर ये इतना ही सिंपल है तो फिर हर कोई इस बारे में सोचता क्यों नहीं? लोगों को लगता है कि उन्हें liabilities और। Assets के बीच फर्क पता है पर लाइबिलिटीज और  Assets  के बीच का जो बारीक सा फर्क है वही लोगों को नहीं पता है। तो चलिए इसके बारे में और डिटेल में बात करते हैं। लाइबिलिटीज और Assets क्या है? लाइबिलिटीज वो है जहाँ से आपको पैसा कभी नहीं आएगा, उल्टे आपको उसमें और पैसा डालते रहना पड़ेगा और Assets वो चीजें हैं। जो आपको पैसा देती रहेंगी। दिन ब दिन उनकी कीमत बढ़ती रहेंगी। वो आपको अमीर और अमीर बनाती रहेंगी। इसको अगर इनकम और एक्सपेंस के टर्म में समझें तो और आसान होगा। तब सिंपल सा मतलब है इनकम है कि आपके पास कितना पैसा आया। और एक्स्पेन्स है कि आपने कितना पैसा खर्च किया। तो जब भी ऐसी कन्फ्यूजन हूँ, सही तरीका यह है कि एक बैलेंस शीट बनाए, जिसमें अपनी एसेट्स और लायबिलिटी जरूर लिखें।

आमीरी वाली सोच

1रुपया मांगता था,2रुपये थमा देते थे। 1रुपया मांगता था, 2रुपये थमा देते थे। कुछ इस तरह से पापा मुझे अमीर बना दिया करते थे।

कहते हैं की सोच अगर सही दिशा में हो तो मंजिल बड़ी आसानी से मिल जाती है। इंसान की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे की आज कितनी जरूरत है ये बात हम में से किसी से भी छिपी हुई नहीं है। हम सब दिन रात मेहनत करते है, सोचते है की हम अमीर बन जाए पर। क्या वो सोच हमारे अंदर है। हम छोटे थे तो 1रुपये, 2रुपये में भी खुश हो जाते थे। पर आज ना जाने कितने पैसे कमाने के बाद भी हम खुश नहीं हो पाते गरीबी ही महसूस होती है, हमेशा कमी लगी रहती है तो कारण क्या है, फर्क क्या है? फर्क सिर्फ सोच का है जिसके बारे में Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि अमीर लोगों के पास ज़्यादा पैसा इसलिए होता है क्योंकि वो प्रिंसिपल पर यकीन करते हैं। वहीं दूसरी तरफ गरीब लोग प्रिन्सिपल को ठीक से समझ नहीं पाते इसीलिए इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि केवल लिटरेट होना काफी नहीं है। फाइनैंशली लिटरेट होना ज़रूरी है।

सिर्फ नंबर से कुछ नहीं होता, मार्क्स से कुछ नहीं होता। फर्क तो तब पड़ता है जब आप अपनी सक्सेस स्टोरी खुद लिखें। अधिकतर फैमिली में देखा गया है कि जो मेहनती होता है, उसके पास पैसा भी ज्यादा होता है। मगर उसका फायदा क्या? जब सारा पैसा लाइबिलिटीज में खर्च हो जाए वैसे ये बहुत ही इंट्रेस्टिंग एक्सर्साइज़ है करके देखनी चाहिए। लाइबिलिटीज वर्सेज़ एसेट्स ये चार्ट बनाकर जब आप देखेंगे तो पाएंगे कि आपका खर्च करने का पैटर्न कैसा है। तरीका सही है या गलत? और तब आप ये भी नोटिस कर पाएंगे की आपका ज्यादा खर्च किस तरफ हो रहा है। लाइबिलिटीज की तरफ या एसेट्स की तरफ और आपको अपने खर्च पर कितना कंट्रोल करने की जरूरत है तो इस पूरी बात को अगर आसान शब्दों में समझा जाए तो वो ये कि अपना पैसा कैसे खर्चे? बस यही मुददे की बात है और कुछ नहीं। अच्छा एक और जरूरी बात है। पुराने समय में अगर देखा जाए तो लोगों के।गोल होते थे। हम डॉक्टर बनेंगे, वकील बनेंगे। ये सारे प्रोफेशन्स है पर इनका अमीरी से कोई कनेक्शन नहीं है। पर सोच यही थी की हम डॉक्टर बनेंगे तो बहुत पैसा कमाएंगे, वकील बनेगे तो बहुत पैसा कमाएंगे, बैरिस्टर बनेंगे तो बहुत पैसा कमाएंगे।

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इस सोच की जड़ ही गलत है। पुराने जमाने के कई लोग आज डॉक्टर, इंजीनियर या जो कुछ भी वो बनना चाहते थे बन चूके हैं पर आज भी वो पैसे के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि वो उनकी नींव ही अलग थी। आज दौर बदल चुका है, बच्चे एथलीट बनना चाहते हैं, स्पोर्ट्स पर्सन बनना चाहते हैं, स्टार बनना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सिर्फ अच्छी पढ़ाई और अच्छे ग्रेड के भरोसे बैठकर वो अपने करियर में सक्सेस नहीं पा सकते। आज वक्त बदल चुका है। आज के जमाने में सभी वर्किंग हैं हज़्बन्ड  वाइफ वर्किंग है। दोनों कमाते हैं। सोचते हैं की हम दोनों मिलकर ज्यादा पैसे कमाएंगे और हम ज्यादा अमीर हो जाएंगे। और सब का ध्यान सिर्फ अपने अपने करियर में ही होता है। कमाई बढ़ने लगती है और ज़ाहिर है कि उसी के साथ साथ खर्चे भी बढ़ने लगते हैं। कहने का मतलब यह है कि बिना फाइनैंशली लिटरेट हुए आप कितने भी पैसे कमा लें वो खर्च हो जाएंगे। वो आपकी लाइबिलिटीज में चले जाएंगे। और ये ऐसा चक्कर है जो फिर चलता ही रहता है? और उसके बाद सब ये सोचते हैं कि इस मुसीबत से बाहर कैसे निकला जाए। दरअसल लोगों को लगता है कि ज्यादा पैसे कमाने से आदमी अमीर हो जाता है। पर Robert Toru Kiyosaki कहते है की अमीरी एक सोच है अमीरी अपने पैसे को सही जगह खर्च करने की समझ है अमीरी पैसे के पीछे न भागने की सोच है अमीरी रिटायरमेंट लेते समय ना डरने की सोच है। अमीरी तब है जब आपका पैसा आपके लिए काम करे, तो आप जब भी खर्च करें। हमेशा ये ध्यान रखें कि पैसा आपको अमीर नहीं बनाता। उसे  सही जगह पर इन्वेस्ट करना, उसे सही से संभाल कर रखना या कई बार उसे गलत जगह पर खर्च ना करना भी आपको अमीर ही बनाता है। कहने का मतलब ये की अमीरी क्या है अमीरी वो नहीं कि आप कितना पैसा कमा पाते अमीरी तो वो है क्या कितना पैसा बचा पाते हैं?

आपकी सोच नहीं ठहरनी चाहिए

आप ठहर जाएंगे तो चलेगा। आपकी सोच नहीं ठहरनी चाहिए। क्योंकि अगर सोच ठहर गई तो ज़िन्दगी बिना किसी सोच के गुजर जाएगी।

बात सन 1947 की है। दुनिया की सबसे बड़ी फूड चेन मैकडोनाल्ड के फाउंडर रे क्रॉक ने एक एमबीए क्लास में स्पीच दी। बहुत ही शानदार स्पीच लोगों ने बहुत तालियां बजाईं खुश हुए। स्पीच के बाद एमबीए के स्टूडेंट्स ने उनके साथ वक्त बिताना चाह उनसे रिक्वेस्ट की। की सर थोड़ा टाइम हमारे लिए निकाल लें बातो बातो मैं Ray Kroc  ने अचानक एक सवाल किया। क्या आप लोग जानते हैं कि मैं किस बिज़नेस में हूँ? अब क्योंकि वो McDonald को रिप्रेजेंट कर रहे थे, तो सभी जानते थे कि आप हैमबर्गर बेचते हैं, फूड बिज़नेस में है तो बच्चों ने वही जवाब दिया। इस बात पर  Ray Kroc हंसने लगे। उनका असली बिज़नेस तो रियल एस्टेट का है, क्योंकि मैं टी के लिए हर लोकेशन का चुनाव बहुत ही सोच समझकर किया जाता है। जहाँ उनकी फ्रेंचाइज़ बनाई जाती है, वो जमीन भी साथ ही बेची जाती थी तो इसका सीधा मतलब ये था की फ्रेंचाइज़ खरीदने वाले उस वक्त वो जमीन भी खरीदते थे तो इस तरह से ये एक रियल स्टेट बिज़नेस भी हो गया। और ठीक यही सबक  Robert Toru Kiyosaki के रिच डैड ने उन्हें सिखाया कि अक्सर लोग खुद के लिए छोड़कर बाकी सब के लिए काम करते हैं? वो टैक्स पे कर के गवर्नमेंट के लिए काम करते हैं, उस कंपनी के लिए काम करते हैं जहाँ वो नौकरी करते हैं, बैंक का मोरगेज देखकर उसके लिए काम करते हैं और ये सब इसलिए क्योंकि हमारा एजुकेशन सिस्टम ही ऐसा है। स्कूल हमें। एम्प्लॉय ही बनना सीखाता है, एंप्लॉयर नहीं जो आप पढ़ते हैं, बस वही आप बनते हैं इसलिए हमेशा सही पड़े। अगर आपने साइंस पढ़ी तो डॉक्टर बनेंगे, मैथमैटिक्स पड़ी तो इंजीनियर बनेंगे। मतलब आपने जो पढ़ा वो ही आप बने। अब मुसीबत यह है कि इससे छात्रों का कोई भला नहीं हो पाता क्योंकि वो नौकरी और बिज़नेस के बीच के फर्क में उलझकर रह जाते हैं।

जब कोई पूछता है की आपका बिज़नेस क्या है तो आपको ये नहीं बोलना चाहिए की मैं तो एक डॉक्टर हूँ या एक बैंकर हूँ क्योंकि वो आपका प्रोफैशन है। बिज़नेस नहीं। वो प्रोफैशन है जिससे आप लोगों की सेवा करते हैं, वो प्रोफैशन हैं जिससे आप अपना घर चलाते हैं। अमीर बनने के लिए प्रोफैशन नहीं बिज़नेस की जरूरत है। कहने का मतलब है कि आप जो कुछ भी करते है उसे अपना बिज़नेस बनाए नौकरी नहीं। अपनी सारी उम्र दूसरों के लिए काम करके उन्हें अमीर करने में बर्बाद ना करें बल्कि खुद की जिंदगी को खुशहाल करने के लिए खुद काम करें। 

बहुत से लोगों को इस बात का एहसास बहुत देर में होता है की जो उनका हाउस लोन है, उनकी जान ले रहे हैं और फिर उन्हें लगता है कि जैसे वह ऐसेट  मानते थे, वो दरअसल उनकी लाइबिलिटी  गया, जैसे उन्होंने कर ली तो उससे जुड़े तमाम खर्चे उनकी लाइबिलिटीज बन गए। उन्हें पूरा करने के लिए नौकरी जरूरी है और अगर कभी वो सेफ जॉब उनके हाथों से निकल गयी। तो फिर उनकी मुसीबतें शुरू। इसिलिए हमें अपने सेविंग्स पर अपनी बचत पर अपने एसेट्स पर इतना ज्यादा ध्यान देना चाहिए। हम कितना कमा रहे हैं उससे ज्यादा हमें हम कितना सेव कर रहे हैं, उस पर ध्यान देना चाहिए और फाइनैंशली सिक्योर होने का यही एक सिम्पल तरीका है। आप कितने अमीर हैं यह जानने का सही तरीका Networth इसलिए नहीं है क्योंकि जब भी आप अपने ऐसेटस बेचते हैं तो उन पर भी टैक्स लगता है, आपको उतना पैसा नहीं मिलता जितना की आप सोचते हैं। तो आप की बैलेंस शीट के हिसाब से आपको जितना भी पैसा मिलेगा, उस पर भी आपको टैक्स देना पड़ेगा। अब इसका मतलब क्या हुआ की क्या सबकुछ छोड़ दें जो कर रहे हैं छोड़ दें, नौकरी ना करे नहीं Robert Toru Kiyosaki यह बिल्कुल नहीं कहते कि जो कुछ आप कर रहे हैं उसे छोड़ दें, जो नौकरी कर रहे हैं, छोड़ दें, अपनी नौकरी करते रहिये। पर साथ ही ऐसेट्स भी जमा करते रहिए और ऐसिटस से उनका मतलब है सही और असली मायने में एसेट्स। वो यही कहते है की आप कोई कार खरीद लीजिए क्योंकि कार ऐसेट नहीं है क्योंकि जैसे ही आप उसे सड़क पर उतरेंगे, उसका रेट घट जाएगा, उसकी कीमत घट जाएगी। जितना हो सके खर्च में कटौती करिए और लाइबिलिटीज को घटाइए। तो बड़ा सवाल ये आता है की किस तरह के ऐसेटस खरीदे जाने चाहिए? कुछ उदाहरण इस तरह से समझे जा सकते हैं कि ऐसा कोई बिज़नेस करें जहाँ आप की मौजूदगी जरूरी ना हो। मतलब अगर आप वहाँ पे ना भी रहे तो आपका काम चलता रहेगा। दूसरे लोग आपके लिए काम करते रहे और बस वही आपका बिज़नेस है। दूसरा, आप कह सकते हैं कि रियल एस्टेट में पैसा लगा सकते हैं, आप जमीन खरीद सकते हैं। स्टॉक और बॉन्ड खरीद सकते हैं। आज कल बहुत सारी पॉलिसीस आ गई है। उन्हें समझें और फिर उसमें इन्वेस्ट करें।

जब एसिटस  खरीदे तो अपनी पसंद की चीज़ो पर पैसा लगाएं क्योंकि आपका मन होगा तभी आप उसमें ध्यान दे पाएंगे। अगर उसमें आपकी रूचि नहीं होगी ना तो आप उसे बेहतर समझ नहीं पाएंगे। Robert Toru Kiyosaki को रियल एस्टेट और स्टॉक्स में रुचि थी, खासकर छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट करने की? तो उन्होंने अपने रिच डैड की सलाह पर अपनी नौकरी कभी नहीं छोड़ी। वो जॉब करते रहे। साथ ही अपने Assets  कॉलम को बड़ा और मजबूत बनाते रहे। उन्होंने अपना कमाया हुआ एक एक पैसा बेकार खर्च नहीं किया, उसे सेव किया। वो हमेशा यह मानकर चलते रहे हैं कि इस पैसे की उन्हें जरूरत नहीं है। वो उसके मालिक है। गुलाम नहीं है।

अगर आपको लगता है कि आप luxurious life जीना चाहते हैं, लग्जरी खरीदना चाहते शौक से खरीदी ये कोई बड़ी बात नहीं है। पर जैसे ही आपको यह विचार आए ये भी जरूर सोचिये की अमीर और गरीब मैं बस यही फर्क है। जहाँ पर मिडिल क्लास आदमी या गरीब आदमी पैसा आते ही पहले लग्जरी में खर्च करता है, वही अमीर आदमी उसे सबसे बाद में खरीदता है तो यही सीक्रेट है अमीरों के और अमीर होने का और गरीबों की बढ़ती गरीबी का।

समझे पैसे की भाषा

संपत्ति वो है जो हमें पैसे कमा कर देती है। और जिम्मेदारी दायित्व वो है जो हमसे पैसे खर्च करवाता है। Robert Toru Kiyosaki कहते हैं कि उनके रिच डैड हमेशा चीजों को सिंपल तरीके से समझने और समझाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने बच्चों से कहा की अकाउंटिंग में अंक यानी नंबर इम्पोर्टेन्ट नहीं है। इम्पोर्टेन्ट वो बात है जो वो नंबर्स वो अंक बता रहे हैं। ये ठीक लेटर्स की तरह है या शब्दों की तरह है जैसे शब्द इम्पोर्टेन्ट नहीं होते। इम्पोर्टेन्ट वो बात होती है जो वो शब्द कह रहे हैं जो वो शब्द बताना चाहते हैं। कई लोग पढ़ते हैं परंतु बहुत ज्यादा समझ नहीं पाते हैं। अब ये रीडिंग की एक प्रॉब्लम हो सकती है। जैसे एक छोटा सा उदाहरण ले की अगर आपके घर में कभी मोबाइल आया हो या वीसीआर आया हो और उसके साथ ही इन्स्ट्रक्शन बुक भी आती है। कभी आपने उस इन्स्ट्रक्शन बुक को पढ़ा है? मैं ये गैरैन्टी दे सकता हूँ कि बहुत सारे लोगों को उसे पढ़ने के बाद भी कुछ समझ नहीं आएगा और ऐसा लगेगा कि वो दुनिया का सबसे मुश्किल काम है, ठीक वैसे ही अंकों के साथ है। अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो आपको अंकों को पढ़ना और उन्हें समझना आना चाहिए। Robert Toru Kiyosaki  कहते है की अपने रिच डैड से ये बात उन्होंने हज़ारों बार सुनी थी और ये भी सुना कि अमीर लोग संपत्ति इकट्ठा करते हैं जबकि गरीब और मध्यवर्गीय यानी मिडिल क्लास लोग दायित्व इकट्ठा करते हैं। तो सवाल ये आता है। कि जब कोई नौकरी कर रहा है, अच्छी सैलरी उठा रहे हैं, फिर भी उसके पास पैसे की तंगी क्यों होती है?  रॉबर्ट के रिच डैड कहते हैं कि पैसे की तंगी की असली वजह होती है कि लोग संपत्ति और दायित्व के बीच अंतर नहीं कर पाते तो वास्तव में अगर आपको अमीर बनना है तो आपको सिर्फ इतना ही जानने की जरूरत है। और आप जिंदगी भर संपत्ति खरीदते रहिए।

बस इनके बीच के फर्क को न जानने के कारण बहुत सारे लोग ज़िन्दगी भर पैसे की कमी से परेशान रहते हैं। पैसों के लिए आदमी इसलिए परेशान होता रहता है क्योंकि वो ना तो शब्दों को समझ पाता है ना ही अंकों को। जिन लोगों के सामने पैसे की मुश्किलें आ रही है उन्हें यह समझना लेना चाहिए कि शब्दों या उनको में ऐसा कुछ है जिसे वो पढ़ नहीं पा रहे है। कोई चीज़ ठीक से उनकी समझ में नहीं आ रही हैं। अमीर लोग इसलिए अमीर होते जाते हैं क्योंकि इस मामले मैं वो पैसे की तंगी से परेशान लोगों से ज़्यादा समझदार होते हैं तो अगर आप भी अमीर बनना चाहते हैं और अपनी दौलत को बनाए रखना चाहते हैं तो पैसे की साक्षरता और समझदारी बहुत जरूरी है। शब्दों में भी और अंकों में भी। 

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Hindi Summary of Robert Toru Kiyosaki’s Book रिच डैड पुअर डैड Part -2

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